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किसान दिवस: मंत्री थे चरण सिंह, फिर भी क्यों कपड़े नहीं खरीद पाती थीं पत्नी! एक दिन रख दी थी फटी धोती

Chaudhary Charan Singh Jayanti Kisan Diwas : चौधरी चरण सिंह देश के बड़े किसान नेता और पांचवे प्रधानमंत्री थे। पीएम बनने से पहले वह उत्तर प्रदेश में मंत्री भी रहे। उनकी जयंती (23 दिसंबर) पर जानिए, उनके व्यक्तित्व के अलग-अलग पहलुओं से जुड़े प्रसंग।

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लखनऊ

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Vijay Kumar Jha

Dec 23, 2025

चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है, वह किसानों के सच्चे मसीहा थे। PC- Patrika

बात 1966 के उन दिनों की है, जब चौधरी चरण सिंह उत्तर प्रदेश सरकार में वन मंत्री थे। उनकी बड़ी बेटी सत्यवती अपने बच्चों के साथ आगरा से लखनऊ आई हुई थीं। सुबह-सुबह चौधरी साहब उनसे बातचीत कर रहे थे। इसी दौरान पता चला कि सत्यवती वन विभाग की जीप में लखनऊ आई थीं। हालांकि, उन्होंने पेट्रोल का पैसा दिया था। फिर भी, यह पता चलते ही चौधरी साहब ने अपने निजी सचिव को बुलाया और आदेश दिया कि पता कीजिए सरकारी गाड़ी का निजी इस्तेमाल करने पर कितना किराया बनता है। जो पैसा निकलता है, वह मेरी ओर से भुगतान कीजिए। यह आदेश देते हुए उन्होंने एक हिदायत भी दी- यह काम दोपहर तक हो जाना चाहिए।

उस समय उनके निजी सचिव तिलक राम शर्मा थे। शर्मा ने उनके साथ बिताए दिनों की यादों को एक किताब में समेटा है। किताब का नाम है 'माइ डेज विद चौधरी चरण सिंह'। यह किस्सा उन्होंने इस किताब में दर्ज किया है।

मंत्री के पहनने के लिए फटी धोती!

सरकारी साधनों का गैर सरकारी काम में इस्तेमाल नहीं करने को लेकर चौधरी साहब बड़े सख्त थे। उनकी इस आदत का खामियाजा पत्नी गायत्री देवी को भुगतना पड़ता था। उनके लिए घर का खर्च चलाना मुश्किल हो जाता था। राजनीतिक या निजी काम से लखनऊ से बाहर जो ट्रंक (फोन) कॉल किए जाते थे, उसका बिल सरकार से नहीं लिया जाता था। किसी गैर सरकारी कार्यक्रम में जाने का गाड़ी आदि का खर्च भी घर खर्च से ही जाता था। इसलिए गायत्री देवी को कपड़े जैसे जरूरी खर्चों तक में कटौती करनी पड़ती थी। एक बार तो ऐसा हुआ कि चौधरी साहब नहाने गए तो देखा बाथरूम में फटी धोती रखी थी। उन्होंने व्यंग्य भरे अंदाज में कहा, 'आज कैबिनेट की बैठक में फटी धोती ही पहन के जाऊं क्या?' यह कहते हुए उन्होंने धोती के दो टुकड़े कर दिए।

9.30 से 9.30 तक दफ्तर में काम

चौधरी चरण सिंह कामकाज में न केवल ईमानदारी बरतते थे, बल्कि बड़े मेहनती भी थे। वह घर से हल्का नाश्ता करके सुबह 9.30 बजे 'काउंसिल हाउस' पहुंच जाते थे और रात 9.30 तक बैठे रहते थे। इस बीच न वह खाने उठते और न ही आराम करते थे। महीनों उनका यही रूटीन रहता था। गर्मियों में तो खास कर। वह खाना एक बार ही खाते थे। रात में। दोपहर में खाने के वक्त चाय-बिस्किट या तरबूज ले लिया करते थे।

उनके निजी सचिव रहे तिलक राम शर्मा ने किताब में लिखा है कि मौका मिलने पर कूलर के आगे बैठे-बैठे वे बीच-बीच में झपकी ले लिया करते थे, लेकिन चौधरी साहब 9.30 बजे सुबह से 9.00-9.30 बजे रात तक लगातार अपनी कुर्सी पर बैठ कर काम में जुटे रहते थे। जबकि ऑफिस आने से पहले उन्होंने घर पर लोगों से मिलने का वक्त भी तय कर रखा था। मतलब सवेरे से देर रात तक लगातार वह काम में लगे रहते थे।

मंत्री थे, फिर भी थी बस एक शेरवानी

चौधरी चरण सिंह की सादगी का आलम यह था कि 1967 में मुख्यमंत्री बनने से पहले उनके पास एक ही ऊनी शेरवानी हुआ करती थी। 1965 में शेरवानी की हालत खराब हुई तो हजरतगंज (लखनऊ) में श्री गांधी आश्रम के टेलर मास्टर को मरम्मत के लिए दी गई। वहां किसी तरह शेरवानी गुम हो गई। स्टाफ को डर था कि पता चलने पर वह बहुत गुस्सा होंगे। लेकिन, गनीमत रही कि वह जरा भी गुस्सा नहीं हुए और नई शेरवानी सिलवाने के लिए कहा।

सिपाही को लेकर खुद अस्पताल गए गृह मंत्री

एक बार की बात है। कार्लटन होटल में दिल्ली से आए वीआईपी मेहमानों के लिए डिनर रखा गया था। डिनर के बाद सारे मेहमान जाने लगे। इसी दौरान एक मेहमान के लिए कार का दरवाजा बंद करते वक्त एक पुलिसवाले का हाथ बुरी तरह जख्मी हो गया। उनके हाथ से काफी खून बह रहा था। जो भी वीआईपी मेहमान आते, वे उनके बारे में पूछते और जल्दी से अस्पताल ले जाने की सलाह देकर निकल जाते।

चौधरी साहब तब यूपी के गृह मंत्री थे। उन्होंने उस सिपाही की हालत देखी तो बड़ा अफसोस जताया और उन्हें अपनी कार में बैठने के लिए कहा। वह वीआईपी मेहमानों को छोड़ने हवाई अड्डे जाने के बजाय खुद जख्मी सिपाही को लेकर अस्पताल गए।

6100 रुपये, जो चौधरी साहब ने छुए तक नहीं

1967 के उत्तर प्रदेश चुनाव के वक्त गाजियाबाद से कुछ लोग आए और चौधरी साहब के लिए 6100 रुपये रख कर चले गए। यह सोच कर कि चुनाव में खर्च होंगे। लेकिन, चौधरी साहब ने पैसे छुए तक नहीं। उन्होंने अपने निजी सचिव से तकिये के नीचे से पैसे उठा कर रखने के लिए कहा। बाद में संबंधित व्यक्तियों को पैसे वापस भिजवाए गए।