
यूपी में हाउस टैक्स बढ़ाने की तैयारी, महापौर और पार्षद की दखलंदाजी पर लगेगी रोक
यूपी के करीब सभी नगर निगमों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। तो अब नगर निगम यूपी के शहरों में हाउस टैक्स बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। हाउस टैक्स बढ़ाने में महापौर और पार्षद अब कोई दखल नहीं दे पाएंगे। संभावना है कि ऐसी तैयारी की जा रही है हर 2 साल में सभी नगर निगम अपने हाउस टैक्स को बढ़ा दिया करेंगे। जिससे आम जनता पर महंगाई की एक और चोट लगेगी। विशेष सचिव, नगर विकास इन्द्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि, उच्च स्तरीय कमेटी बनायी गयी है। यह कमेटी नगर निगमों की आय बढ़ाने तथा उन्हें सशक्त व स्वावलम्बी बनाने की दिशा में काम करेगी।
उच्चस्तरीय कमेटी करेगी निर्णय
यूपी के नगर निगमों को अमीर बनाने के लिए शासन स्तर पर तैयारियां तेज हो गईं है। प्रमुख सचिव नगर विकास की अध्यक्षता में 13 अफसरों की एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई गई है। नवगठित समिति पूरे प्रदेश मे टैक्स बढ़ाने की योजना पर काम करेगी। हालांकि समिति टैक्स के साथ-साथ आय के अन्य स्रोत भी तलाशेगी। जिससे नगर निगमों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाया जा सके। शासन ने बीती दो जून को उच्चस्तरीय कमेटी बनाने का निर्णय लिया था।
12 वर्षों से हाउस टैक्स नहीं बढ़ा
लखनऊ नगर निगम में पिछले 12 वर्षों से हाउस टैक्स नहीं बढ़ा है। वर्ष 2018-19 में गृहकर बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार हुआ था पर महापौर व पार्षदों के जबरदस्त विरोध की वजह से दरें नहीं बढ़ाई जा सकीं। इस वजह से नगर निगम की वित्तीय स्थिति प्रभावित होती है। साथ ही शासन की मंशा छूटे हुए मकानों को भी कर के दायरे में लाने की है।
हर दो वर्ष में रिवाइज हो जाएगा गृहकर
नगर निगम अधिनियम में हर दो वर्ष में टैक्स बढ़ाने का नियम है। कार्यकारिणी और सदन की मंजूरी के बाद टैक्स बढ़ाया जा सकता है। नई कमेटी में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि अब ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है, जिससे हर दो वर्ष में गृहकर रिवाइज हो जाए। पार्षदों तथा महापौर की टैक्स बढ़ाने में कोई दखलंदाजी नहीं रहेगी।
करीब 1000 वर्ग फुट पर दोगुना होगा गृहकर
लखनऊ के पॉश इलाके गोमती नगर में करीब 1000 वर्ग फुट में मकान बनाने वालों को अभी सालाना लगभग दो हजार रुपए गृहकर देना पड़ता है। दरें बढ़ने के बाद लोगों को 4000 रुपए टैक्स देना होगा।
लखनऊ नगर निगम पर 300 करोड़ की देनदारी
लखनऊ नगर निगम 300 करोड़ के घाटे में है। कई देनदारियां बनी हुई हैं। आमदनी न होने की वजह से देनदारियों का भुगतान नहीं हो पा रहा है। विकास कार्य भी प्रभावित हैं। सिर्फ जरूरी काम ही हो रहे हैं।
Published on:
10 Jun 2022 11:44 am
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