Conversion Racket: उत्तर प्रदेश में एक खतरनाक धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। 6 राज्यों से 10 आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ, ISIS से संभावित कनेक्शन की भी जांच शुरू हो गई है। ATS, STF और राष्ट्रीय एजेंसियां इस मॉड्यूल की गहराई से जांच में जुटी हैं।
Massive Conversion Racket Busted in UP: उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के नाम पर चल रहे एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ है, जिसके तार देश के छह राज्यों से जुड़े हुए हैं। इस नेटवर्क में शामिल 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिन पर आरोप है कि ये लोग नाबालिग और युवा लड़कियों को बहला-फुसला कर या पैसों का लालच देकर धर्मांतरण करवाते थे। इतना ही नहीं, इस रैकेट की कार्यप्रणाली में अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन ISIS जैसी रणनीति और संरचना की झलक मिल रही है।
इस रैकेट के खिलाफ कार्रवाई उत्तर प्रदेश के आगरा जिले से शुरू हुई, जहां दो बहनों की रहस्यमयी तरीके से लापता होने की घटना ने पुलिस को चौकन्ना किया। आगरा के पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने बताया कि 24 मार्च को दो बहनों की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज की गई थी, जिसके बाद जब मामले की तफ्तीश गहराई से की गई, तो इसके पीछे एक संगठित धर्मांतरण मॉड्यूल सामने आया।
राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्ण ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मामले की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर 'मिशन अस्मिता' के तहत महिला सुरक्षा और धर्मांतरण विरोधी अभियान चलाया जा रहा है। इस मिशन की जांच में सामने आया है कि देशभर में लड़कियों को मानसिक और भावनात्मक रूप से कमजोर बनाकर, प्यार या पैसों का लालच देकर उनका धर्म बदला जा रहा है।
डीजीपी ने बताया कि इस रैकेट को अमेरिका और कनाडा से फंडिंग मिल रही थी। फंडिंग के कुछ सुराग मिले हैं, जिसमें कनाडा से सीधे ट्रांजेक्शन की पुष्टि हुई है। यह नेटवर्क PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया), SDPI (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) और पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों से जुड़ा पाया गया है।
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि यह नेटवर्क ISIS की तर्ज पर युवतियों को पहले मानसिक रूप से तोड़ता है और फिर उन्हें कट्टरपंथ की ओर धकेलता है। आगरा में पकड़ी गई एक युवती आयशा की एक तस्वीर सामने आई है, जिसमें वह AK-47 लिए हुए नजर आ रही है। यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई और सुरक्षा एजेंसियों ने इसे गंभीरता से लेते हुए जांच को और तेज किया।
आगरा में जिन दो बहनों की गुमशुदगी की जांच से यह मामला सामने आया, उसमें से एक बहन ने पहले भी घर छोड़ दिया था। उसकी दोस्ती जम्मू-कश्मीर की साइमा उर्फ खुशबू नाम की युवती से थी, जिसने उसका कथित तौर पर ब्रेनवॉश किया। बाद में बड़ी बहन के कहने पर छोटी बहन भी उसी रास्ते पर चल पड़ी और दोनों ने इस धर्मांतरण नेटवर्क से जुड़ाव बना लिया।
पीड़ित पिता ने अपनी बेटियों की गुमशुदगी की रिपोर्ट सदर थाने में दर्ज करवाई, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। उनकी बेटियों के बालिग होने का हवाला देकर पुलिस ने कार्रवाई से परहेज किया। लगातार कोशिशों और मीडिया दबाव के बाद 41 दिन बीतने पर 4 मई को अपहरण का केस दर्ज किया गया, जिसमें साइमा को नामजद किया गया।
इस पूरे मॉड्यूल का खुलासा होते ही उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF), एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) और साइबर क्राइम सेल एक्शन में आई। देश के छह राज्यों उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गोवा, राजस्थान, उत्तराखंड और दिल्ली में छापेमारी की गई। अब तक गिरफ्तार किए गए आरोपियों में शामिल हैं:
डीजीपी ने बताया कि यह पूरा गिरोह एक सुव्यवस्थित योजना के तहत काम करता था। युवतियों को लव जिहाद के माध्यम से फंसाया जाता था। फिर उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जाता और अंततः निकाह करवा दिया जाता। इस प्रक्रिया में युवकों को धन, नौकरी और विलासिता का लालच दिया जाता था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देश के बाद राज्य की सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया है। मिशन अस्मिता के अंतर्गत पूरे राज्य में धर्मांतरण से जुड़े मामलों की समीक्षा की जा रही है। साथ ही केंद्र सरकार को भी इस इंटरनेशनल नेटवर्क की जानकारी दी गई है, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र जरूरी कदम उठाए जा सकें।