पिछले साल चिंताजनक थे आंकड़े पिछले वर्ष दीपावली के बाद की रिपोर्ट के मुताबिक शहर की हवाओं में नुकसानदेह कार्बन मोनोक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, पार्टीकुलेट मैटर-पीएम10 और पीएम-2.5 सभी की मात्रा काफी बढ़ गयी थी। रिपोर्ट में वायु प्रदूषण के अलावा ध्वनि प्रदुषण पर भी चिंता जाहिर की गई थी। प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड ने रैंडम सैंपलिंग से शहर में ध्वनि प्रदूषण का आंकलन किया था। इंदिरा नगर, पीजीआई, गोमती नगर, हजरतगंज और तालकटोरा में सर्वे किया गया था। किसी शहर में ध्वनि का सामान्य स्तर 50 डेसिबल होता है और 75 डेसिबल के ऊपर की ध्वनि कई व्यक्तियों के लिए सहन की क्षमता के बाहर हो जाता है । पिछली दीपावली पर इंदिरा नगर सबसे कम प्रदूषित हुई थी। यहां ध्वनि प्रदूषण का स्तर 57 डेसीबल रहा। इसके अलावा पीजीआई में इसका स्तर 60 डेसिबल, गोमती नगर में 65 डेसिबल, तालकटोरा में 63 डेसिबल था। हजरतगंज में दिवाली के दिन सबसे ज्यादा पटाखे छोड़े गए थे। धूम-धड़ाके से घनी आबादी वाले इस इलाके में प्रदूषण का स्तर 70 डेसिबल तक पहुंच गया था।
गंभीर बीमारियों का ख़तरा प्रदूषण को लेकर बढ़ रही चिंता के बीच उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिशा-निर्देश जारी किये हैं। बोर्ड ने जारी सूचना में बताया है कि पटाखों के प्रस्फोटन से मनुष्य के साथ ही पशु-पक्षियों को भी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस प्रदूषण का सीधा प्रभाव मानव मस्तिष्क, सुनने की क्षमता और पाचन तंत्र पर पड़ता है। इससे घबराहट, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, तनाव, नींद में कमी, ब्लडप्रेशर, हृदय रोग, मानसिक क्षमता में कमी, दमा, अल्सर, बहरापन और सांस सम्बन्धी अन्य बीमारियों के पैदा होने की संभावना रहती है।
नियमों के उल्लंघन पर होगी जेल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पटाखों के प्रस्फोटन के दौरान कुछ जरूरी नियमों का पालन करने के दिशा निर्देश जारी किये हैं। जिस स्थान पर पटाखों को बनाया जा रहा हो, उन्हें बेचा जा रहा हो या फिर रखा गया हो, ऐसे स्थान से चार मीटर की दूरी में पटाखों के प्रस्फोट करने पर रोक है। इसके अलावा 125 डीबी (एआई) या 145 डीबी (सी) पी.के. से अधिक शोरजनक पटाखों के बनाने, बिक्री और उपयोग पर रोक है। अस्पताल, शिक्षण संस्थान, न्यायालय, धार्मिक स्थल या सक्षम प्राधिकारी द्वारा घोषित शांत क्षेत्र के 100 मीटर की परिधि में पटाखे जलाना गैर कानूनी है। आवाज पैदा करने वाली आतिशबाजी और पटाखों को रात दस बजे से सुबह छह बजे के बीच प्रयोग किये जाने पर प्रतिबन्ध है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नियमों के उललंघन पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत कार्रवाई की चेतावनी जारी की है। नियमों के उल्लंघन पर दोषी व्यक्ति को पांच साल की सजा और एक लाख रूपये का जुर्माना हो सकता है।