
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों पर बजने वाले लाऊडस्पीकर अब हटा दिए जाएंगे। अब धर्मस्थलों, सार्वजनिक स्थानों, जुलूसों या जलसों में अब बिना परमिशन लाउडस्पीकर बजाना भारी पड़ेगा। उन धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटेंगे, जिन्होंने प्रशासन से इजाजत नहीं ली है। योगी सरकार ने ऐसे धार्मिक स्थलों की पहचान का काम शुरू कर दिया है। हालांकि हाई कोर्ट की सख्ती के बाद गृह विभाग ने सभी जिलों के अफसरों को आदेश दिया है कि बिना परमिशन बजाए जा रहे लाउडस्पीकरों को 20 जनवरी तक उतरवा दें। इसके बाद आदेश का उल्लंघन करने वालों को पांच साल का कारावास या एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
डीएम और एसपी को दिए गए निर्देश
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने सभी जिलों के डीएम और एसपी को निर्देश दिए हैं कि राजस्व और पुलिस की एक टीम बनाकर 10 जनवरी तक ऐसे धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक स्थानों को चिह्नित कर लें, जहां बिना परमिशन के लाउडस्पीकर बजाए जा रहे हैं। सभी को 15 जनवरी तक का समय देकर तय प्रारुप के मुताबिक परमिशन लेने का नोटिस दें। अगर वे परमिशन नहीं लेते हैं और लाउडस्पीकर बजाते हैं तो उनके खिलाफ ध्वनि प्रदूषण नियम-2000 के तहत कार्रवाई की जाए।
फैसले को लेकर अलग-अलग है धर्म गुरुओं की राय
यूपी में इस फैसले को लेकर अलग-अलग धर्मों के लोगों की राय अलग है। शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने बताया है कि पहले मस्जिद में लगे हुए लाऊडस्पीकरों को हटाया जाए बाद में मंदिरों से जटाए जाएंगे। हाईकोर्ट का आदेश यह है कि ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए है लेकिन ऐसे बयान इसे विवाद की शक्ल दे रहे हैं।
वहीं, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने कहा है भारतीय जनता पार्टी को अपनी निगेटिव अप्रोच से हट जाना चाहिए। वह पॉजिटिव अप्रोच रखें। जहां लगे हुए हैं उनकी परमिशन जारी कर दें और जो आइंदा लगाएं वो परमिशन से लगाएं।
मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सूफियां ने कहा है कि योगी सरकार का पिछले दो तीन महीनों से मुसलमानों को लेकर जो रवैया रहा है, मुझे उम्मीद नहीं है कि सरकार इस पर निष्पक्ष होकर कार्रवाई कराएगी।
यूपी में लाउडस्पीकर को लेकर पहले भी हो चुकी राजनीति
यूपी में लाउडस्पीकर को लेकर राजनीति पहले भी हो चुकी है। खुद सीएम योगी लाउडस्पीकर पर रोक लगाने को लेकर बड़ा बयान दे चुके हैं। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद एक बार फिर लाउडस्पीकर पर राजनीति शुरू होती दिख रही है। हालांकि हाईकोर्ट ने बारात और जुलूस जैसे आयोजनों में भी हो रहे ध्वनि प्रदूषण को लेकर भी कार्रवाई करने को कहा है।
राजस्व विभाग व पुलिस अधिकारी करेंगे सर्वेक्षण
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार द्वारा प्रदेश के सभी जिला मजिस्ट्रेट व पुलिस कप्तानों को जारी आदेश में मोतीलाल यादव बनाम स्टेट ऑफ यूपी केस में हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश का उल्लेख करते हुए निर्देश दिया है कि वे सभी अपने जिलों में स्थित ऐसे सभी धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक स्थलों जहां स्थायी रूप से लाउडस्पीकर या किसी भी तरह के ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग किया जाता है, का राजस्व व पुलिस अधिकारियों की टीम बनाकर 10 जनवरी तक सर्वे पूर्ण कराएं। इन टीमों को यह पता करना होगा कि इनमें से कितनी जगहों पर बिना परमीशन लाउडस्पीकर्स का प्रयोग किया जा रहा है।
15 जनवरी के बाद नहीं बजेंगे लाउडस्पीकर
यूपी के प्रमुख गृह सचिव ने सभी जिलों के डीएम को पत्र लिखकर ऐसे लाऊड स्पीकरों का पता लगाने को कहा है जहां 10 जनवरी तक ऐसे धार्मिक स्थलों की पहचान करना जरूरी है। 15 जनवरी तक धार्मिक स्थलों को लाउडस्पीकर बजाने की इजाजत प्रशासन से लेनी होगी। मतलब ये कि 15 जनवरी के बाद से किसी भी धार्मिक स्थल पर बिना इजाजत लाउडस्पीकर नहीं बजेंगे। वहीं, जिला प्रशासन स्थानीय थाना व तहसील आदि से आवश्यक रिपोर्ट प्राप्त कर उन्हें पांच दिन में परमीशन दिया जाना सुनिश्चित करेंगे। आदेश में कहा गया है कि 15 जनवरी तक जिन प्रबंधकों द्वारा परमीशन प्राप्त नहीं की जाती, तो उनके खिलाफ ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के प्रावधानों के तहत कार्यवाही कराते हुए हाईकोर्ट के निर्देशानुसार ऐसे धार्मिक स्थल, सार्वजनिक स्थल से लाउडस्पीकर को 20 जनवरी तक उतरवाना सुनिश्चित करें।
जगह के मुताबिक ध्वनि का मानक
आदेश में ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के अनुसार नियमावली के शेड्यूल में एएक्यूएसआरएन के तहत विभिन्न क्षेत्रों जैसे इंडस्ट्रियल, कॉमर्शियल, रेजिडेंशियल व शांत क्षेत्र में दिन व रात के समय अधिकतम ध्वनि तीव्रता निर्धारित की गई है। इसके तहत इंडस्ट्रियल एरिया में दिन के वक्त 75 व रात के वक्त 70 डेसीबल, कॉमर्शियल एरिया के लिये 65 व 55, रेजिडेंशियल एरिया में 55 व 45 जबकि, साइलेंस जोन मे दिन में 50 डेसीबल व रात में 40 डेसीबल ध्वनि का मानक तय किया गया है।
उल्लंघन करने पर यह हैं सजा के प्रावधान
यूपी में बिना अनुमति लाउडस्पीकर बजाने पर कड़ी सजा का प्राविधान है। पर्यावरण (संरक्षण) 1986 अधिनियम की धारा 15 के तहत यह दंडनीय अपराध है। बिना परमीशन के लाउडस्पीकर लगाने पर संबंधित प्रबंधक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। इसका उल्लंघन करने पर पांच साल का कारावास या एक लाख का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। इसके तहत हर दिन के उल्लंघन के पांच हजार रुपये प्रतिदिन की सजा अलग से है।
कहां कितना रहेगा ध्वनि मानक
रिहाइशी इलाके में 6AM से 10PM तक 55 डेसिबल और 10PM से 6AM तक 45 डेसिबल
कॉमर्शियल एरिया में 6AM से 10PM तक 65 डेसिबल और 10PM से 6AM तक 55 डेसिबल
इंडस्ट्रियल एरिया में 6AM से 10PM तक 75 डेसिबल और 10PM से 6AM तक 70 डेसिबल
Updated on:
08 Jan 2018 05:08 pm
Published on:
08 Jan 2018 12:28 pm
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