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मिशन 2019 : लोकसभा चुनाव से पहले इन छोटे दलों से गठबंधन कर सकती है भाजपा

बीजेपी सपा-बसपा गठबंधन में शामिल होने वाले अन्य दलों के अलावा क्षेत्रीय पकड़ रखने वाले छोटे-छोटे दलों से गठबंधन कर सकती है...

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लखनऊ

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Hariom Dwivedi

Jun 11, 2018

 BJP may alliance with small parties

मिशन 2019 : लोकसभा चुनाव से पहले इन छोटे दलों से गठबंधन कर सकती है भाजपा

लखनऊ. लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन की आहट से बीजेपी सचेत है। भले ही पार्टी के नेता विपक्षी एकता से खुद को बेफिक्रे दिखाने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन अंदर-अंदर इससे निपटने की तैयारियां तेज हो गई हैं। 2019 में 2014 जैसी कामयाबी दोहराने के लिये बीजेपी जातीय समीकरण से लेकर क्षेत्रीय समीकरण दुरुस्त करने में लगी है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी सपा-बसपा गठबंधन में शामिल होने वाले अन्य दलों के अलावा क्षेत्रीय पकड़ रखने वाले छोटे-छोटे दलों से गठबंधन कर सकती है।

क्षेत्रीय राजनैतिक दलों से गठबंधन की खबरों पर बीजेपी की ओर से अभी कोई अधिकारिक बयान तो नहीं आया है, लेकिन सूत्रों की मानें अंदर ही अंदर इसकी तैयारियां चल रही हैं। गोरखपुर व फूलपुर के बाद कैराना और नूरपुर उपचुनाव में हार से बीजेपी ने नये सिरे से रणनीति पर मंथन शुरू कर दिया है। कई छोटे दल बीजेपी संग मिलकर चुनाव लड़ने को तैयार हैं, पार्टी इन सभी की पकड़ का आंकलन कर रही है, जिसके बाद कुछ दलों के साथ बीजेपी गठबंधन कर सकती है।

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बीजेपी सूत्रों की मानें तो कई छोटे दल पार्टी संग मिलकर चुनाव लड़ने को लेकर उत्साहित हैं। लेकिन, बीजेपी अभी इनके राजनीतिक प्रभाव का आंकलन कर रही है। इसके बाद ही कुछ दलों को साथ लेकर बीजेपी मिशन 2019 के चुनावी मैदान में उतरेगी। इससे पहले भी भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव में अपना दल (एस) से तालमेल किया था, जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव पार्टी से भी गठबंधन कर भाजपा ने चुनाव लड़ा था। बता दें कि लोकसभा चुनाव अपना दल को जहां दो सीटें मिली थीं, वहीं विधानसभा में सुहेलदेव पार्टी के चार विधायक जीते थे। इसी रणनीति के तहत बीजेपी लोकसभा चुनाव में उतरना चाहती है।

छोटे दलों से गठबंधन क्यों
पिछले बार 302 छोटे दल चुनावी मैदान में थे। इनमें से कुछ की अपने क्षेत्र में खासी पकड़ है। 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो महान दल को 14 सीटों पर 0.11 फीसदी वोट और लोकदल को 81 सीटों पर 0.21 फीसदी वोट मिले थे। इनके अलावा बहुजन मुक्ति मोर्चा को 0.18 फीसदी और भारतीय शक्ति चेतना पार्टी को 0.04 फीसदी वोट मिले थे। इन दलों के अलावा भी कई ऐसे दल हैं जो किसी भी जीतते प्रत्याशी का समीकरण बिगाड़ने के लिये पर्याप्त हैं। भाजपा ऐसे ही दलों की तलाश में है। अभी उसके पास अपना दल और सुहेलदेव पार्टी का साथ है।

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