इतना ही नहीं डीप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को लेकर कैबिनेट में कुल 8 ब्राह्मण नेता है। लेकिन 8 में से 4 नेता बीजेपी के मूल कैडर के नहीं बल्कि इंपोर्टेड हैं यानि दूसरे दलों से आये नेता है। इन चार में से तीन बीएसपी से आये हैं तो एक कांग्रेस के हैं।
“गैरों पर करम अपनों पर सितम” हालांकि इस बीच जहाँ दूसरी पार्टी से आये नेताओं की पूछ पार्टी में बढ़ी है वहीं पार्टी के मूल कैडर के नेताओं को नज़रअंदाज़ किया गया है। पिछली बार के डिप्टी CM दिनेश शर्मा, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। नीलकंठ तिवारी वाराणसी की विधानसभा सीट से दूसरी बार जीते थे। लेकिन इस बार उनकी जगह बिना विधायक बने ही गाजीपुर के दयाशंकर मिश्रा कैबिनेट में चुन लिए गए। कानपुर की किदवई नगर सीट से जीते महेश त्रिवेदी को मंत्री पद की उम्मीद थी, लेकिन उनके हाथ भी निराशा लगी।
“हमसे का भूल हुई” बीजेपी के बड़े ब्राह्मण नेता दबी जुबान से पूछ रहे हैं कि “हमसे का भूल हुई जो ये सजा हमका मिली”। नेता यह भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या बीजेपी को अपने ब्राह्मण नेताओं पर भरोसा नहीं था क्या जो वह बाहरी नेताओं पर भरोसा जता रही है।
कैबिनेट में चार ब्राह्मण मंत्री हैं बाहरी नयी कैबिनेट में जो चार ब्राह्मण चेहरे बाहरी हैं वो हैं, ब्रजेश पाठक, जितिन प्रसाद, रजनी तिवारी और प्रतिभा शुक्ला। इनमें जहाँ ब्रजेश पाठक, रजनी तिवारी और प्रतिभा शुक्ला बीएसपी से आये हैं तो वहीं जितिन प्रसाद कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए हैं।