महोबा. मंजिल उन्हें मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसले से उड़ान होती है….। ये पंक्तियां महोबा के बछेछर खुर्द निवासी सुभाष अहिरवार पर फिट बैठती है। सुभाष ने गरीबी में पल कर भी पीसीएस जे की परीक्षा पास कर पिता की बूढ़ी आंखों का पानी पोंछ लिया। पूरा परिवार बेटे की कामयाबी पर फूले नहीं समा रहा है। अब गरीब परिवार का पुत्र जज की कुर्सी पर बैठेगा।
हुआ शानदार स्वागत-
महोबा के जैतपुर ब्लाक के बछेछर खुर्द गांव निवासी गरीब परिवार में पले बेटे ने पीसीएस जे परीक्षा में 583 रैंक लाकर पास की है। उन्होंने अपने पिता का ही नहीं बल्कि गांव व जिले का भी नाम रोशन किया। बछेछर खुर्द निवासी पंचम अहिरवार के 27 वर्षीय बेटे सुभाष ने पहले प्रयास में ही यह सफलता हासिल कर पिता की बूढ़ी आंखों का सपना पूरा कर दिया। पिता व भाई का सपना था कि वह जज बने। सुभाष ने अपनी मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई कर उस सपने को हकीकत में पूरा किया है। गांव आते ही सुभाष का गाजे बाजे के साथ स्वागत हुआ। ग्रामीणों ने जगह-जगह फूल माला पहना कर रंग गुलाल उड़ाकर खुशी का इजहार किया। सुभाष ने अपनी सफलता का श्रेय भाई-भाभी और माता-पिता को दिया है।
ऐसे करते थे तैयारी-
सुभाष ने बताया कि प्रारंभिक शिक्षा से लेकर अंत तक दिल्ली में भाई के पास झुग्गी में रह कर पढ़ाई की। आर्थिक तंगी के चलते पढ़ाई में कुछ दिक्कतें जरूर आई पर उसे उन्होंने कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। नोट्स आदि के लिए मित्रों से फोटो स्टेट करा लिया करते थे। 14-14 घंटे की पढ़ाई कर यह मुकाम पाया है। सुभाष का कहना है कि पढ़ाई में उन्होने कोई काम कल के लिए नहीं छोड़ा। समय चाहे जो लगे पर जो पढ़ रहे हैं उसे पूरा करके ही उठते थे।
पिता ने कहा यह-
पिता पंचम अहिरवार ने कहा कि सुभाष के भाई रामस्नेही वहां किराना की दुकान चलाते हैं। तीन बार यूपीएससी की परीक्षा दी और तीनों बार मेंस तक पहुंचे। इस बार उन्हें इस परीक्षा के साक्षात्कार में सफल होने की उम्मीद है। सुभाष का सपना आईएएस बनने का है। कोटेदार पंचम के दो पुत्र और तीन पुत्रियां हैं। जिसमें से 32 वर्षीय सुनीता अध्यापिका और 27 वर्षीय शकुंतला जौनपुर में लेखपाल है। सफलता के लिए निमित पढ़ाई की जरूरत होती है।