भाजपा के इस परफारमेंस पर (कभी यूपी में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे) भाजपा के एक सांसद ने कहा कि, यही हाल रहा तो 2019 में भाजपा 15-20 सीट से अधिक नहीं जीत सकती। भाजपा के ये सांसद महोदय 2019 के लिए कोई और पड़ाव तलाश रहे हैं। वहीं पांच बार महराजगंज से भाजपा सांसद रहे पंकज चौधरी भी गठबंधन के चक्रव्यूह में घिर गए हैं। कुर्मी और वैश्य बाहुल्य इस संसदीय क्षेत्र में जातियों के धुव्रीकरण और विपक्ष का बंटा होना उनकी जीत का कारण होता रहा है। इस बार वे घिरे हुए हैं। गठबंधन से सपा बसपा या कांग्रेस की तरफ से जो भी मैदान में होगा वह पंकज चौधरी के लिए मुश्किल पेश करेगा। हालांकि सांसद चौधरी के निकटवर्ती भाजपा जिलाध्यक्ष अरुण शुक्ल कहते हैं कि, 2019 के आम चुनाव में जनता फिर भाजपा का साथ देगी क्योंकि मोदी ने विश्व में भारत का नाम रोशन किया है।
जिले के फरेंदा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते रहे प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष विरेंद्र चौधरी कहते हैं कि, भाजपा यूपी में जितने चुनाव हारी है वह सब भाजपा की सीट रही है। गोरखपुर और फूलपुर संसदीय उपचुनाव में हार भाजपा के लिए सदमे जैसा रहा। गोरखपुर उपचुनाव में तो एक तरह मुख्यमंत्री योगी की हार थी तो फूलपुर में उपमुख्यमंत्री हारे। इन दोनों संसदीय सीटों पर हार के बाद कैराना की हार योगी और मोदी को कटघरे में खड़ा कर दिया। कैराना में सांसद हुकुम सिंह की मौत के बाद हुए चुनाव में सहानुभूति के लहर की उम्मीद थी। भाजपा यहां गन्ना किसानों की अनदेखी कर जिन्ना की रट लगाकर इसे भी हासिल करने में नाकामयाब रही।
महराजगंज के एक भाजपा नेता ने अपना नाम न छापने की गुजारिश के साथ कहा कि “देश नहीं झुकने देंगे”बेरोजगारी दूर कर देंगे, गंगा साफ कर देंगे, पाकिस्तान को सबक सिखा देंगे, राम मंदिर बना देंगे जैसे लोक लुभावन नारे से सत्ता में आई भाजपा एक भी वादे पर खरा नहीं उतरी। जहां गन्ना किसान अपने बकाए को लेकर परेशान है, वहां जिन्ना के नाम पर वोट मागे जा रहे हैं। आसमान छूते पेट्रो पदार्थ के दाम में एक एक पैसे की कमी कटे पर नमक छिड़कने जैसा है। भाजपा के टिकट पर दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके पार्टी के इस वरिष्ठ नेता ने साफ कहा कि, महराजगंज सहित यूपी के दो तिहाही से अधिक सांसद मोदी के तिलस्मि से चुनाव जीते हैं।