इस एक आइडिया से बदल जाएगी आपकी किस्मत और जिंदगी दोनों अच्छा लीडर वही जो सबको भी सुने और खुद को इको चैम्बर न बनने दे – प्रोफेसर हिमांशु राय खेती का प्राकृतिक तरीका बताते हैं
बांदा जिले के बड़ोखर गांव निवासी प्रेम सिंह इन किसानों को खेती का वो प्राकृतिक तरीका बताते हैं, जो ये अपने देशों में आजमाते हैं। हर वर्ष तीन से चार हजार किसान उनसे खेती के गुर सीखने आते हैं, जिनमें सैकड़ों विदेशी होते हैं। बाकी किसान जहां रासायनिक खादों के सहारे बाजार के लिए खेती करते हैं वहीं प्रेम सिंह खेती, पशुपालन और बागवानी का अनूठा मॉडल अपनाए हुए हैं।
बांदा जिले के बड़ोखर गांव निवासी प्रेम सिंह इन किसानों को खेती का वो प्राकृतिक तरीका बताते हैं, जो ये अपने देशों में आजमाते हैं। हर वर्ष तीन से चार हजार किसान उनसे खेती के गुर सीखने आते हैं, जिनमें सैकड़ों विदेशी होते हैं। बाकी किसान जहां रासायनिक खादों के सहारे बाजार के लिए खेती करते हैं वहीं प्रेम सिंह खेती, पशुपालन और बागवानी का अनूठा मॉडल अपनाए हुए हैं।
सिंह भारतीय जैविक खेती संगठन से जुड़े हैं वे ३० वर्षों से अपने 25 एकड़ खेत में पूरी तरह से जैविक खेती कर रहे हैं। प्रेमसिंह अनाज को सीधे बेचने की बजाय प्रॉडक्ट बनाकर बेचते हैं, जैसे गेहूं की दलिया और आटा, जो दिल्ली समेत कई शहरों में ऊंची कीमत पर जाते हैं। प्रेम सिंह के इसी फार्मूले की बदौलत देश ही नहीं विदेशों में भी किसान रासायनिक खेती को छोड़ जैविक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं।
प्रेम सिंह भारतीय जैविक खेती संगठन से जुड़े हैं। वे तीस वर्षों से अपने 25 एकड़ खेत में पूरी तरह से जैविक खेती कर रहे हैं। सिंह के इसी फार्मूले की बदौलत देश ही नहीं विदेशों में भी किसान रासायनिक खेती को छोड़ जैविक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं।
ऐसे करते हैं खेती
प्रेम सिंह ने अपनी कुल जमीन को तीन भागों में बांट रखा है। जमीन के एक तिहाई हिस्से में उन्होंने बाग लगाया है तो दूसरा भाग पशुओं के चरने के लिए है जबकि बाकी एक तिहाई हिस्से में वो जैविक विधि से खेती करते हैं।
प्रेम सिंह ने अपनी कुल जमीन को तीन भागों में बांट रखा है। जमीन के एक तिहाई हिस्से में उन्होंने बाग लगाया है तो दूसरा भाग पशुओं के चरने के लिए है जबकि बाकी एक तिहाई हिस्से में वो जैविक विधि से खेती करते हैं।