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सरकारी स्कूल में पढ़ बने इंजीनियर, अमरीका से ली डिग्री, यूं खड़ा किया अरबों का बिजनेस

Motivational Story: उन्होंने महसूस किया कि इंडिया में सोशलिज्म हमारी प्रॉब्लम है और इस स्थिति को ठीक करना चाहिए। वर्ष 1994 में उन्होंने सैन डिएगो स्थित क्वालकॉम में नौकरी शुरू की। इस नौकरी को छोड़ उन्होंने अपना बिजनेस स्टार्ट किया।

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जयपुर

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Sunil Sharma

Jul 17, 2019

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Motivational Story: सॉफ्टवेयर डवलपमेंट कंपनी जोहो कॉर्प के फाउंडर और सीईओ श्रीधर वेम्बू ने अपना सफर साधारण व्यक्ति के रूप में शुरू किया और आज उन्होंने सैकड़ों मिलियन डॉलर की कंपनी खड़ी कर ली है। तमिलनाडु के मध्यमवर्गीय परिवार में पले-बढ़े श्रीधर के पिता हाई कोर्ट में स्टेनोग्राफर थे। श्रीधर ने अपनी स्कूली शिक्षा सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल से पूरी की। आईआईटी मद्रास से उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की। उसके बाद उन्होंने 1989 में प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी कम्प्लीट की।

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इस दौरान उन्होंने पॉलिटिकल साइंस और इकोनॉमिक्स में गहरी दिलचस्पी होने के कारण कई किताबें पढ़ी। जापान, सिंगापुर और ताईवान जैसे बाजारों की सफलता के बारे में अध्ययन किया और समझा कि वे कैसे इतनी अच्छी तरह से विकसित हुए। उन्होंने महसूस किया कि इंडिया में सोशलिज्म हमारी प्रॉब्लम है और इस स्थिति को ठीक करना चाहिए। वर्ष 1994 में उन्होंने सैन डिएगो स्थित क्वालकॉम में नौकरी शुरू की।

यहां दो साल काम करने के बाद उन्होंने जॉब छोड़ दी और वापस भारत आ गए। वह नौकरी के बजाय अलग पहचान बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने वर्ष 1996 में एक छोटे से अपार्टमेंट में टोनी थॉमस के साथ मिलकर सॉफ्टवेयर वेंचर एडवेंट नेट शुरू किया। 2009 में कंपनी का नाम बदलकर जोहो रख दिया। वह अपने इस उद्यम को ऊंचाइयों पर ले जाना चाहते थे।

इसके लिए उन्होंने कई क्रांतिकारी फैसले लिए। इससे उनकी कंपनी लगातार ग्रोथ करने लगी। हालांकि इस दौरान उन्हें उतार-चढ़ाव के दौर से भी गुजरना पड़ा, लेकिन वह विचलित हुए बिना मुसीबतों का सामना करते हुए आगे बढ़ते रहे। डिग्री से ज्यादा कुशलता को महत्व देने वाले श्रीधर हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहने में यकीन करते हैं।