2. अलगाव का डर
महामारी के दौरान परिवार में, नौकरीपेशा लोग कंपनी से जुड़ाव के कारण नौकरी व रिश्तों के खोने का डर सताने लगा। इसके लिए सहयोगियों, दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ विश्वास और मजबूत रिश्ते बनाए रखें। कॅरियर व रिश्तों की मजबूती के लिए छोटे-छोटे कदम उठाएं। अपनी सहभागिता बढ़ाएं।
3. टकराव व विरोध का डर
यह डर हमें जरूरी बात कहने नहीं देता है, जबकि उस समय कहनी जरूरी होती है। ऐसा न करने से अक्सर व्यक्तिगत व व्यावसायिक रिश्ते खराब होने लगते हैं। विपरीत परिस्थितियां होने पर कभी-कभी बच सकते हैं। समस्याओं से उलझने की बजाय उससे निपटने के सर्वोत्तम तरीकों के बारे में सोचें।
4. अस्वीकृति का डर
अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल नहीं हो रहे हैं तो आत्मविश्वास बनाए रखें। नित अपनी कमियों का मूल्यांकन करें और दोबारा प्रयास करें। यदि कहीं आपको अस्वीकार किया गया है तो वह उस समय के लिए है न कि हमेशा के लिए। संकोच न करें। दोबार प्रयास करें। समय के साथ जरूरतें बदलती रहती हैं।
5. नियंत्रण खोने का डर
रिसर्च में पाया गया है कि हर चीज पर नियंत्रण रखने की चाह कई बार बड़ी मुश्किलें खड़ी कर देती है। हर चीज पर सवाल उठाने के बजाय यह समझना जरूरी है कि वह कितनी जरूरी है। कुछ चीजें आपके नियंत्रण से परे हैं। उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करें जिन्हें आप नियंत्रित व प्रबंधित करने की शक्ति रखते हैं।
6. असफलता का डर
बड़े लक्ष्य हासिल करने में समय लगता है। सफलता से पहले असफलताओं का कड़वा अनुभव भी हो सकता है। बार-बार प्रयास करें। अपनी रणनीति में बदलाव करें। एक बार की गई गलती दोबारा न करें। सफलता ज्यादा आसान हो जाएगी।