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मंडला

भगवान शिव पार्वती के विवाह में झूमे श्रद्धालु

पड़ाव स्थित श्रीराम मंदिर में महाशिवपुराण का आयोजन

मंडलाNov 24, 2023 / 01:03 pm

Mangal Singh Thakur

भगवान शिव पार्वती के विवाह में झूमे श्रद्धालु

भगवान शिव पार्वती के विवाह में झूमे श्रद्धालु

मंडला @ पत्रिका. शहर के पड़ाव स्थित श्री राम मंदिर में महाशिवपुराण का आयोजन 19 से 27 नवंबर तक किया जा रहा है, जिसमें गुरुवार को देवउठनी एकादशी के अवसर पर भागवत वक्ता पंडित नरोत्तम दुबे सिलगी वाले द्वारा भगवान शिव और पार्वती के विवाह की कथा सुनाई गई। कथा के दौरान भगवान शिव एवं पार्वती की आकर्षक जीवंत झांकी सजाई गई थी। भगवान शिव पार्वती की बाजे गाजे के साथ बारात निकाली गई। भगवान शिव पार्वती के विवाह में उपस्थित श्रद्धालुओ ने पंडित नरोत्तम शास्त्री ने शिव पार्वती के विवाह से जुड़े गीतों को सुनकर जमकर नृत्य किया। कथावाचक ने देवउठनी एकादशी का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि देवउठनी एकादशी से भगवान श्री विष्णु अपनी चार माह की योग निद्रा से जागते हैं और इसी के साथ उन चार महीनों तक जिन शुभ कायों पर रोक लगी होती है उन कार्यों की शुरुआत देवउठनी एकादशी से एक बार फिर शुरू हो जाती है। इसी के साथ ही बताया कि जीवन में संयोग के साथ वियोग और सुख के साथ दुख भी जुड़ा हुआ है। भगवान आनंद के सिंधु हैं और हम संसार के एक बिंदु के बराबर सुख को पाते ही अपने आपको धन्य समझने लगते हैं। शास्त्री ने बताया कि भगवान गणेश प्रथम वंदनीय हैं। विघ्नहर्ता के रूप में देवता भी उन्हें मान्यता देते हैं। बिना गणेशजी की पूजा आराधना के किसी भी शुभ संकल्प की पूर्ति नहीं हो सकती।

मंडला @ पत्रिका. शहर के पड़ाव स्थित श्री राम मंदिर में महाशिवपुराण का आयोजन 19 से 27 नवंबर तक किया जा रहा है, जिसमें गुरुवार को देवउठनी एकादशी के अवसर पर भागवत वक्ता पंडित नरोत्तम दुबे सिलगी वाले द्वारा भगवान शिव और पार्वती के विवाह की कथा सुनाई गई। कथा के दौरान भगवान शिव एवं पार्वती की आकर्षक जीवंत झांकी सजाई गई थी। भगवान शिव पार्वती की बाजे गाजे के साथ बारात निकाली गई। भगवान शिव पार्वती के विवाह में उपस्थित श्रद्धालुओ ने पंडित नरोत्तम शास्त्री ने शिव पार्वती के विवाह से जुड़े गीतों को सुनकर जमकर नृत्य किया। कथावाचक ने देवउठनी एकादशी का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि देवउठनी एकादशी से भगवान श्री विष्णु अपनी चार माह की योग निद्रा से जागते हैं और इसी के साथ उन चार महीनों तक जिन शुभ कायों पर रोक लगी होती है उन कार्यों की शुरुआत देवउठनी एकादशी से एक बार फिर शुरू हो जाती है। इसी के साथ ही बताया कि जीवन में संयोग के साथ वियोग और सुख के साथ दुख भी जुड़ा हुआ है। भगवान आनंद के सिंधु हैं और हम संसार के एक बिंदु के बराबर सुख को पाते ही अपने आपको धन्य समझने लगते हैं। शास्त्री ने बताया कि भगवान गणेश प्रथम वंदनीय हैं। विघ्नहर्ता के रूप में देवता भी उन्हें मान्यता देते हैं। बिना गणेशजी की पूजा आराधना के किसी भी शुभ संकल्प की पूर्ति नहीं हो सकती।

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