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धांधली! 55 रुपए की किताब को अमेजन ने 275 रुपए में बेचा, बाद में लेना पड़ा यू टर्न

बाजार में कुछ किताबों की उपलब्धता न हाेने का फायदा उठाते हुए कुछ आॅनलाइन कंपनियां इन किताबों को 15 गुना तक अधिक कीमत में बेच रही हैं।  

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E-commerce fraud

नर्इ दिल्ली। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद(एनसीर्इआरटी) के उन किताबों को लेकर एक एेसे धांधली का मामला सामन आया है जिनमें कुछ किताबों की बाजार में अनुउपलप्धता होने के बाद भी किताबें आॅनलाइन बिक रही हैं। अाॅनलाइन इन किताबों को 15 गुना तक अधिक कीमतों पर बेचा जा रहा है। नियमों के अनुसार एनसीर्इआरटी के इन किताबों को प्रिंट कीमत से अधिक कीमत पर नहीं बेचा सकता हैं। दरअसल ये मामला अमेजन वेबसाइट का है जिसमें 55 रुपए के मूल्य की एक किताब को 275 रुपए में बेचा गया है। चाैकाने वाल बात ये है कि इस किताब पर 95 रुपए का अतिरिक्त डिलीवरी चार्च भी लिया गया। इस तरह एनसीर्इआरटी के इस किताब की बाजार में उपलब्धता न होने के कारण अमेजन ने इसके लिए एक ग्राहक से 370 रुपए वसूला। हालांकि बाद में ग्राहक के कंप्लेन करने के बाद अमेजन ने बकाया रकम को ग्राहक के वाॅलेट में गिफ्ट कूपन के तौर पर वापस किया।


क्या है पूरा मामला

ये मामला तब सामने आया जब एक ग्राहक ने कक्षा 8 की गणित की एक किताब को अमेजन से आॅर्डर किया। इस किताब का प्रिंट रेट 55 रुपए है लेकिन अमेजन ने इसके लिए ग्राहक से कुल 370 रुपए वसूला। जिसमें किताब का दाम 275 रुपए आैर 90 रुपए डिलीवरी चार्च के तौर पर वसूला गया। दरअसल ये किताब बाजार में उपलब्ध नहीं थी, पुस्तक विक्रेताआें का भी कहना है कि ये किताब बाजार में कहीं उपलब्ध नहीं है। एेसे में ग्राहक को इस किताब को खरीदने के लिए अमेजन पर विक्रेताअों के लिए तीन विकल्प उपलब्ध थे। ये विक्रेता इन किताबों को 275-990 रुपए तक में बेच रहे हैं।

कंप्लेन करने पर कंपनी ने वापस लौटार्इ अतिरिक्त राशि

जब ग्राहक को पता चला कि इस किताब की वास्तविक कीमत 55 रुपए है तो इसपर स्पष्टता के लिए उन्होंने अमेजन से संपर्क किया। बाद में कंपनी ने इस गलती के लिए उनसें माफी मांगी अौर बाकी अतिरिक्त रकम को उनके अमेजन खाते में गिफ्ट कूपन के तौर पर वापस लौटाया। इसके साथ ही कंपनी ने यह भी वादा किया कि वो अधिक कीमत पर किताबें बेचने पर विक्रेताआें पर कार्रवार्इ भी करेगी। इस मामले के सामने आने के बाद अमेजन ने अपनी वेबसाइट पर एनसीर्इआरटी के सभी किताबों की कीमतों में सुधार किया।


बाजार में नहीं तो आॅनलाइन डीलर्स के पास कैसे उपलब्ध हैं किताबें

इस मामले के बाद सबसे बड़ा सवाल एक यह भी है कि जो किताबें बाजार में माैजूद स्थानीय पुस्तक विक्रेताआें के पास उपलब्ध नहीं है वो किताबें कुछ खास आॅनलाइन डीलर्स के पास कैसे पहुंच गर्इ। आपको बता दें कि एनसीर्इआरटी के इन किताबों की बिक्री आैर सप्लार्इ की जिम्मेदारी एक सरकारी एजेंसी के पास है। एेसे में इस बात की आशंका है कि इसमें कहीं आॅनलाइन डीलर्स की मिलीभगत तो नहीं है।