
Bitya@Workशिप्रा ने पापा की आंखों से देखा सपना कर दिखाया पूरा, कई बेटियों को बनाया आत्मनिर्भर
मथुरा। समय बदला तो लोगों की सोच बदली, इसी बदली सोच का नतीजा है कि बेटियां पिता के काम में हाथ बंटाकर उनके कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। कान्हा की नगरी में बदलते परिवेश में बेटियां न केवल पिता के कंधे से कंधे मिलाकर चल रही हैं बल्कि अपने किये गए कामों के जरिये अपना और अपने पिता का नाम भी रोशन कर रही हैं।
2007 में शुरु हुआ सफर
मथुरा के बाग बहादुर इलाके में लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चल रहे इंस्टिट्यूट का बखूबी संचालन कर रही शिप्रा राठी ने 2007 में अपने पिता हरिमोहन माहेश्वरी का हाथ थामा तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। पिता के कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली शिप्रा राठी के पिता की सोच थी कि मथुरा में एक ऐसा संस्थान खोला जाए जहां लड़कियों को फैशन, कम्प्यूटर और बुटीक की ट्रेनिंग दे कर उन्हें आत्मनिर्भर बना सकें। पिता की इस सोच को आगे बढ़ाते हुए शिप्रा ने अपने पिता के साथ मिलकर इस संस्थान को खोला और आज एक सफलतम संस्थान बनाया। दो बेटियों की मां शिप्रा वर्तमान में 350 से ज्यादा लड़कियों को ट्रेनिंग दे रही हैं और आज उनकी इस मेहनत का नतीजा है कि शहर के अधिकांश ब्यूटी पार्लर और बुटीक उनके यहां से ट्रेनिंग कर चुकी लड़कियों के द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। अपने पिता का साथ देने वाली शिप्रा को जितना अपने पिता पर गर्व है उससे ज्यादा कहीं उनके पिता को शिप्रा पर।
पापा जो भी सिखाते हैं वह मुझे अच्छा लगता है
जब हमने शिप्रा राठी से बात की तो उन्होंने बताया कि मैं 11 साल से पापा के साथ मथुरा में खजानी वूमेन चला रही हूं। पापा मेरे आइडियल रहे। पापा का शांत स्वभाव था और हमेशा से मुझे सपोर्ट करते हैं। पापा रिटायर्ड ऑफिसर हैं, लोग उनकी हमेशा से तारीफ करते थे। पहले कभी यह नहीं सोचा कि पापा के साथ काम करने का मौका मिलेगा। 2007 से मैंने पापा के काम में हाथ बंटाना शुरू किया। पापा ने मुझे धीरे धीरे सब काम सिखाया और आज भी मैं उनसे सीखती हूं। पहले मैं केवल ऑफिस ही देखा करती थी और आप क्लास भी देखती हूं। शिप्रा कहती हैं कि उनके पापा ने लड़के लड़कियों में कभी फर्क नहीं समझा।
Published on:
25 Sept 2018 09:13 pm
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