प्रधानाचार्य आैर टीचर्स ने कुछ बैनर बनवाए आैर इस पर लिखवाया कि जरा रुकिए, इस स्कूल के बच्चे सड़क पार कर रहे हैं...। शुरू-शुरू में जब बैनर लेकर हाइवे के करीब पहुंचते तो कोर्इ वाहन नहीं रुकता था, लेकिन एक दिन आया, जबसे दोपहर एक बजे इस स्कूल की छुट्टी होते ही प्रधानाचार्य, टीचर्स आैर बड़े बच्चे पहले बैनर लेकर दोनों हाथ उूपर उठाकर ट्रैफिक रुकने का इशारा करती हैं। फिर कतारवार छोटे व बड़े बच्चे बैनर के पीछे-पीछे चलकर हाइवे पार करते हैं। तब तक पूरा ट्रैफिक रुका रहता है, वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं। बच्चे करीब आठ मिनट में हाइवे पार कर लेते हैं, तो स्टाफ ट्रैफिक शुरू करने का इशारा करता है आैर हाइवे पर ट्रैफिक सामान्य हो जाता है। प्रधानाचार्य का कहना है कि बच्चों को हाइवे पार कराने का यही रास्ता था, इससे बच्चे सुरक्षित हाइवे पार करके घर चले जाते हैं।