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दोपहर होते ही यहां बच्चे बन जाते हैं ट्रैफिक पुलिस

इस हाइवे पर होते हैं सबसे ज्यादा एक्सीडेंट

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Sanjay srivastava

Jul 29, 2017

children become traffic cop at afternoon

children become traffic cop at afternoon

मेरठ।
वेस्ट यूपी में NH-58 सबसे व्यस्तम आैर हेवी ट्रैफिक वाला हाइवे माना जाता है। यहां कोर्इ अकेला व्यक्ति हाइवे पार नहीं कर सकता। इतना ट्रैफिक यहां से गुजरता है कि पूछिए मत। दिल्ली से हरिद्वार के बीच मेरठ में तो इस हाइवे पर अक्सर जाम लगा रहता है, लेकिन शहर से दौराला की तरफ निकलते ही NH-58 पर सभी वाहन गति पकड़ लेते हैं आैर तब इन्हें रोकने वाला कोर्इ नहीं होेता, लेकिन दौराला के गांव सिवाया पहुंचने पर इस हाइवे के ट्रैफिक के हर वाहन को अचानक ब्रेक लगाने पड़ते हैं। एेसा तकरीबन रोज होता है आैर इन वाहनों को रोकने वाले कोर्इ नहीं स्कूली बच्चे आैर उनकी टीचर्स होती हैं। इनके एक इशारे पर यह हेवी ट्रैफिक रुक जाता है आैर इनके इशारे पर चल पड़ता है।


यह रोजाना का है काम


दरअसल, प्राथमिक व कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय सिवाया NH-58 पर रुड़की रोड की आेर जाते हुए बांयी आेर पड़ता है, जबकि हाइवे के दांयी आेर से 150 से ज्यादा बच्चे गांव से इस स्कूल में पढ़ने आते हैं। ये बच्चे जब सुबह स्कूल आते हैं तो इनके पेरेंट्स छोड़ जाते हैं, लेकिन जब दोपहर एक बजे छुट्टी होती है, तो इन कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को हाइवे पार कराने की ड्यूटी इनकी बन जाती है। इस हाइवे पर जनपद में सबसे ज्यादा एक्सीडेंट भी होते हैं। इसे देखते हुए स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती मंजू शर्मा आैर टीचर्स ने हल खोज निकाला।


बैनर आैर इशारा करके रुकवाते हैं ट्रैफिक


प्रधानाचार्य आैर टीचर्स ने कुछ बैनर बनवाए आैर इस पर लिखवाया कि जरा रुकिए, इस स्कूल के बच्चे सड़क पार कर रहे हैं...। शुरू-शुरू में जब बैनर लेकर हाइवे के करीब पहुंचते तो कोर्इ वाहन नहीं रुकता था, लेकिन एक दिन आया, जबसे दोपहर एक बजे इस स्कूल की छुट्टी होते ही प्रधानाचार्य, टीचर्स आैर बड़े बच्चे पहले बैनर लेकर दोनों हाथ उूपर उठाकर ट्रैफिक रुकने का इशारा करती हैं। फिर कतारवार छोटे व बड़े बच्चे बैनर के पीछे-पीछे चलकर हाइवे पार करते हैं। तब तक पूरा ट्रैफिक रुका रहता है, वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं। बच्चे करीब आठ मिनट में हाइवे पार कर लेते हैं, तो स्टाफ ट्रैफिक शुरू करने का इशारा करता है आैर हाइवे पर ट्रैफिक सामान्य हो जाता है। प्रधानाचार्य का कहना है कि बच्चों को हाइवे पार कराने का यही रास्ता था, इससे बच्चे सुरक्षित हाइवे पार करके घर चले जाते हैं।