एटीएस ने इसका खुलासा किया है। ईरा-गार्डन और लक्खीपुरा में रोहिंग्या बाहर से आकर यहां पर अपनी प्लानिंग बनाते थे। क्षेत्रवासियों का कहना है कि लग्जरी वाहनों में लोग बाहर से आते थे और यहां पर बैठकें करते थे। एटीएस (ATS ) की माने तो नूर आलम और हाफिज के तार मलेशिया से जुड़े हुए थे। हाफिज के अन्य साथियों के नाम भी एटीएस को पता चल चुके हैं। जल्द ही इनकी भी गिरफ्तारी हो सकती है। मलेशिया में किसके जरिए गिरोह संचालित किया जा रहा था। कौन इनको आर्थिक मदद प्रदान कर रहा था। इन सब जानकारी के लिए पुलिस की खुफिया इकाई एलआइयू भी लगाई गई है।
बता दें कि एटीएस की टीम ने पिछले दिनों छह रोहिंग्या को गिरफ्तार किया था। हाल में पकड़े गए हाफिज शफीक, स्माइल, मुफीजुररहमान और अजीजुररहमान उर्फ अजीज तो मलेशिया में महिलाओं की तस्करी में भी शामिल थे। ये लोग हवाला के जरिए विदेश से पैसा मंगाते थे। जांच में सामने आया है कि ईरा गार्डन में रोहिंग्या की बैठक हाफिज शफीक लेता था। लक्खीपुरा में नूर आलम के घर मीटिंग होती थी। इन्हीं मीटिंग में ही पूरी प्लानिंग की जाती थी। आरोपियों के साथियों की तलाश में जुटी एटीएस धरपकड़ के बाद भूमिगत हुए आरोपियों के अन्य साथियों की तलाश की जा रही है। एटीएस मेरठ में डेरा डालकर बैठक में शामिल होने वाले अन्य लोगों की जानकारी भी जुटा रही है।वदेखा जा रहा है कि यहां के कुछ लोगों को भी लालच देकर अपना काम करा रहे थे।
सीओ
अतुल यादव ने बताया कि रोहिंग्या को मलेशिया से गाइड किया जा रहा था। जिस आधार पर वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जड़े जमा रहे थे। पुलिस और प्रशासन को बिना खबर हुए ही रोहिंग्या ने वोटर आइडी और पासपोर्ट तक बनवा लिया था