
नई दिल्ली। जहां एक ओर कोरोना देशभर में तेजी से पांव फैला रहा है तो दूसरी तरफ बाहर से आए लोग क्वारनटाइन से बचकर न केवल अपनी बल्कि दूसरों की जिंदगी को भी खतरे में डालने से बाज नहीं आ रहे। वहीं, ओडिशा के मजदूरों ने गांव पहुंचने के बाद घर जाने के बदले खुद को खेत में क्वारनटाइन कर लिया है। ऐसा कर केरल से लौटे ओडिशा के 12 प्रवासी मजदूरों ने लॉकडाउन तोड़ने वालों के सामने बड़ी मिसाल पेश की है।
बता दें कि कालाहांडी जिले के पिपलगुडा गांव के रहने वाले भजमन नायक सहित 12 प्रवासी मजदूर जब केरल के त्रिशुर से अलप्पुझा-धनबाद एक्सपेस से अपने गांव पिपलगुडा के लिए चले थे तब उन लोगों ने शायद ही सोचा होगा कि एक और मुश्किल घड़ी उनका इंतजार कर रही है। भजमन नायक और 11 अन्य त्रिशुर एक पटाखा फैक्ट्री में 2012 से काम करते आए हैं। लेकिन राज्य में कोरोना वायरस का केस शुरू होने के बाद फैक्ट्री के मालिक ने काम बंद कर दिया।
भजमन नायक ने बताया कि फैक्ट्री बंद करने के बाद भी त्रिशूर में कोई कोरोना का पॉजिटीव केस नहीं आया था, लेकिन फैक्ट्री मालिक ने वापस ओडिशा जाने को कहा।
नायक ने बताया कि 21 तारीख को कालाहांडी के केसिगंज रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद वो लोग मेडिकल जांच के लिए ऑटो रिक्शा लेकर जयपटना के सरकारी अस्पताल पहुंचे। जांच में सभी मजदूरों को निगेटिव पाया गया। लेकिन स्थानीय डॉक्टरों ने ने बताया कि वे एकांतास में चले जाएं।
इसके बाद जब भजमन और अन्य बाकी 11 श्रमिकों को पता चला कि स्थानीय अस्पताल या पंचायत स्तर पर कोई क्वारंटाइन की सुविधा नहीं हो तो उन लोगों में से ही किसी एक ने यह सुझाव दिया कि अपने घरों से 200 मीटर की दूरी पर रहें। इसके बाद 22 मार्च को भजमन समेत सभी 12 लोगों ने खेत में टेंट लगाकर 2 दिन वहीं रुके और उसके बाद गांव के पास की स्कूल बिल्डिग में चले गए।
भजमन के मुताबिक जिस वक्त हम टेंट में ठहरे थे तो ऐसा डर लग रहा था कि कही से कोई सांप न आ जाए। इसलिए हम स्कूल की बिल्डिंग में चले गए। लेकिन वहां भी खाने की दिक्कत थी। उसके बाद वापस घर आकर और बाकी परिवार के लोगों से खुद को एक कमरे में अलग रखा और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया। दरअसल, इन मजदूरों ने ऐसा कर उन लोगों के सामने मिसाल पेश की है जो लॉकडाउन तोड़ने पर आमदा हैं।
Updated on:
31 Mar 2020 10:31 am
Published on:
31 Mar 2020 10:26 am
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