इसका पायलट प्रोजेक्ट (Pilot Project) केंद्र शासित राज्यों में चलाया जा रहा है। इसके उपयोग पर नजर रखी गई है। इस परियोजना की समीक्षा के बाद आने वाले कुछ माह में प्रोजेक्ट के दूसरे चरण को लॉन्च किया जाएगा। मामले से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अगले चरणों में ई-फार्मेसी (E-Pharmacy) को भी जोड़ा जाएगा। इससे लोगों को ऑनलाइन दवा मंगाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। पर्चा अपलोड करने जैसे झंझटों से दूर रहा जा सकेगा। मौजूदा समय में दवाओं को इंटरनेट से खरीदने के लिए पर्चा अपलोड करना होता है। इस तरह से कंपनियों तक ग्राहकों की निजी जानकारियां पर्चे के जरिए पहुंच रही हैं। इसका गलत इस्तेमाल न हो, इसलिए ये नई व्यवस्था की जाएगी।
जानकारी के अनुसार नीति आयोग के सुझाव पर स्वास्थ्य मंत्रालय इस दिशा में नई गाइडलाइंस बना रहा है। इससे आने वाले दिनों में डिजिटल हेल्ड आईडी से किसी शख्स का वेरिफिकेशन हो सकेगा। दवा खरीदने के लिए डॉक्टर का पर्चा अपलोड करने के बजाय कंपनियों को डिजिटल हेल्थ आईडी देने की आवश्यकता होगी।
साथ ही टेलीमेडिसिन की मदद से आईडी के जरिए गांव में बैठा व्यक्ति बड़े शहरों के डॉक्टरों से इलाज कर सकेंगा। हालांकि इस सुविधा को लेकर स्वास्थ्य से जुड़े रिकॉर्ड डॉक्टर को दिखाने के लिए उस व्यक्ति के लिए मंजूरी जरूरी होगी। केंद्र सरकार इसके विस्तृत नियम और कानून बनाने में जुटी हुई है। कुछ ही माह में इस पर पब्लिक ओपेनियन भी लिया जाएगा। रायशुमारी के बाद नियम लागू कर दिए जाएंगे।
इस योजना के तहत अभी तक मरीजो से उनकी परेशानी जानने के बाद डॉक्टर उनको दवा उपलब्ध करवाते हैं। डॉक्टरों की सलाह के बाद आशा बहू, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा मरीज के घर पर दवा उपलब्ध करवाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग इस सुविधा का लाभ आशा बहू, एएनएम, बीएलई और ग्राम प्रधान के माध्यम से उठाते हैं।