वित्त मंत्रालय के मुताबिक दिसंबर में जीएसटी कलेक्शन 1.15 लाख करोड़ रहा, जो अब तक सबसे अधिक है। जीएसटी व्यवस्था की शुरुआत जुलाई 2017 में हुई थी और यह पहला मौका है जब जीएसटी कलेक्शन 1.15 लाख करोड़ रुपए रहा। लगातार तीसरे महीने जीएसटी कलेक्शन एक लाख करोड़ रुपए से अधिक रहा है। अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 1.05 लाख करोड़ और नवंबर में 1.04 लाख करोड़ रुपए रहा था।
पहली बार 1.15 लाख करोड़ पार पहली बार जीएसटी का आंकड़ा 1.15 लाख करोड़ को पार किया है। पिछले साल दिसंबर महीने की तुलना में यह करीब 12 फीसदी ज्यादा है। इसके पहले सबसे ज्यादा जीएसटी कलेक्शन अप्रेल 2019 में 1,13,866 करोड़ रुपए का था।
– दिसंबर में सकल जीएसटी राजस्व 1,15,174 करोड़ रुपए – दिसंबर में केंद्रीय जीएसटी संग्रह 21,365 करोड़ – राज्य जीएसटी संग्रह 27,804 करोड़ – एकीकृत जीएसटी 57,426 करोड़ (वस्तुओं के आयात पर एकत्र 27,050 करोड़ रुपए सहित)
– उपकर 8,579 करोड़ रुपए (आयात पर एकत्र 971 करोड़ रुपए सहित)। यह बोला वित्त मंत्रालय वित्त मंत्रालय ने शु्क्रवार को बताया कि दिसंबर में जीएसटी संग्रह ने 1.15 लाख करोड़ रुपए के सर्वकालिक उच्च स्तर को छुआ, जो त्योहारी मांग और अर्थव्यवस्था में सुधार को दर्शाता है। बयान में कहा गया कि यह पिछले 21 महीनों में सबसे अधिक मासिक राजस्व वृद्धि है। यह महामारी के बाद तेज आर्थिक सुधार और जीएसटी चोरी और फर्जी बिल के खिलाफ चलाए गए देशव्यापी अभियान, और व्यवस्थागत बदलावों के चलते संभव हुआ है। नवंबर से 31 दिसंबर तक कुल 87 लाख जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल किए गए। समीक्षाधीन महीने में आयातित वस्तुओं से राजस्व 27 प्रतिशत बढ़ा और घरेलू लेनदेन (आयात सेवाओं सहित) से राजस्व इससे पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले आठ प्रतिशत अधिक रहा।
2020 में जीएसटी कलेक्शन माह जीएसटी संग्रह जनवरी 1,10,000 फरवरी 1,05,366 मार्च 97,597 अप्रैल 32,294 मई 62,009 जून 90,917 जुलाई 87,422 अगस्त 86,449 सितंबर 95,480
अक्टूबर 1,05,155 नवंबर 1,04,963 दिसंबर 1,15,174 तीन प्रमुख कारण : जिनसे बढ़ा जीएसटी कलेक्शन – वित्त मंत्रालय के मुताबिक, दिसंबर 2020 में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 12 प्रतिशत ज्यादा रेवेन्यू मिला है।
– दिसंबर में 2020 आयात बढ़ गया है। एक साल पहले के मुकाबले इस साल आयात से 27 प्रतिशत ज्यादा रेवेन्यू मिला है। – जीएसटी चोरी और फेक बिल के खिलाफ देशभर में चलाए गए अभियानों के कारण भी ज्यादा टैक्स मिला है।