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India China Tension: बार-बार अपने वादों से पलटने के पीछे ये है ड्रैगन की कुटिल चाल

India China Tension एक बार फिर LAC से पीछे हटने के बजाय आक्रामक हुआ ड्रैगन
Defence Minsitry ने अपनी Website पर कहा कि लंबा चल सकता है दोनों देशों के बीच तनाव
सीमा विस्तार की नीति के चलते बार-बार अपने वादों से पलटता है China

Aug 06, 2020 / 03:29 pm

धीरज शर्मा

India China Tension

सीमा विस्तार के चलते बार-बार अपने वादों से पलटता है चीन

नई दिल्ली। भारत-चीन ( India China Tension ) के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा ( LAC ) पर चल रहा तनाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। धोखेबाज चीन ने एक बार फिर अपने वादे से पलटी मारी है और सीमा पर आक्रमक रुख अपना रहा है। दरअसल रक्षा मंत्रालय ( Defence Ministry ) ने अब अपनी वेबसाइट पर दस्तावेज अपलोड किए हैं, जिसमें कहा है कि LAC पर चीनी आक्रामकता बढ़ती जा रही है और मौजूदा गतिरोध लंबे समय तक जारी रह सकता है।
इस दौरान मंत्रालय ने गलवान घाटी ( Galwan Valley ) का जिक्र भी किया है। जहां 15 जून को हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। चीन के सैनिक भी मारे गए थे। हालांकि इसके बदा दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर ( Commander Level talk ) की बातचीत हुई और चीनी सैनिक वादे के मुताबिक पीछे हटे थे।
लेकिन एक बार फिर चीनी सैनिकों ( Chinese Soldiers ) ने लद्दाख सीमा पर आक्रामक रूख अपना लिया है। दरअसल चीन बार-बार अपने वादों से पलट जाता है, इसके पीछे उसकी एक जमीन हडपो नीति है। इसी नीति के जरिए चीन ना सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के 23 देशों के साथ विवाद बढ़ा चुका है।
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सीमा विवाद और चीन का बार-बार पलटना ये कोई नई या गलती से हुई बात नहीं बल्कि ये चीन की सोची समझी रणनीति है। इस रणनीति के जरिए चीन लगातार अपनी सीमाओं को बढ़ाने में जुटा है।
दरअसल चीन में राजशाही हो, गणतंत्र हो या साम्यावदी शासन, हर काल में उसने ताकत और हथियार के बल पर अपने साम्राज्य का विस्तार किया है।

चीन के कई प्राचीन राजवंशों ने देश की सीमा को कोरिया, वियतनाम, मंगोलिया और मध्य एशिया तक बढ़ाया।
1949 में जब चीन में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में साम्यवादी शासन की स्थापना हुई तो यह विस्तारवादी नीति और उग्र हो गयी। माओ का कहना था कि सत्ता बंदूक की नली से निकलती है। यही नहीं माओ ने देशवासियों के यकीन दिलाया था कि प्राचीन काल में चीन की जहां तक सीमाएं थी वो एक बार फिर हासिल की जाएंगी।
अपने इन्हीं मंसूबों को पूरा करने के लिए चीन छल, कपट और वादों से मुकरने की कला में पारंगत हो चुका है। इसके जरिए वो अपनी सीमा का विस्तार कर रहा है।

14 पड़ोसियों की जमीन पर दावा
चीन अपने 14 पड़ोसियों की जमीन पर तो दावा करता ही है वह 8 हजार किलोमीटर दूर अमरीका के हवाई द्वीप को भी अपना मानता है।
कोलंबस से पहले चीन ने की अमरीका की खोज
चीन का ये भी दावा है उनके नाविकों ने कोलंबस से पहले अमरीकी द्वीप की खोज कर ली थी।

23 देशों का चीन से विवाद
चीन अपनी विस्तारवादी नीति के लिए युद्ध अनिवार्य मानता है इसलिए भारत समेत दुनिया के 23 देश उसकी कुटिल चाल से परेशान हैं।
6 देशों की 41.13 लाख स्क्वायर किमी जमीन पर चीन ने कब्जा जमाया हुआ है। दरअसल ये चीन की कुल जमीन का 43% फीसदी हिस्सा है। यही नहीं भारत की भी 43 हजार वर्ग किमी जमीन भी चीन के पास है।
दक्षिण मंगोलिया, तिब्बत, हांगकांग, पूर्वी तुर्किस्तान, मकाउ और ताइवान जैसे देशों पर चीन ने कब्जा किया हुआ है।
जमीन के साथ समंदर पर भी हक
चीन की नजर सिर्फ जमीन के जरिए अपने सीमाओं का विस्तार नहीं है बल्कि उसकी गंदी नजरें समंदर पर भी है। चीन दक्षिणी चीन सागर पर भी अपना हक जताता है। इंडोनेशिया और वियतनाम के बीच पड़ने वाला यह सागर 35 लाख स्क्वायर किमी में फैला हुआ है।
यह सागर इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ताइवान और ब्रुनेई से घिरा है। लेकिन, सागर पर इंडोनेशिया को छोड़कर बाकी सभी 6 देश अपना दावा करते हैं।

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