scriptINX मीडिया केसः पी चिदंबरम को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत, भेजे गए तिहाड़ जेल | INX Media Case: P Chidambaram sent to Tihar jail for 14 days in judicial custody | Patrika News

INX मीडिया केसः पी चिदंबरम को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत, भेजे गए तिहाड़ जेल

locationनई दिल्लीPublished: Sep 05, 2019 10:26:16 pm

राउज एवेन्यू कोर्ट ने सुनाया फैसला, चिदंबरम 19 सितंबर तक जेल में
सीबीआई ने चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजने की दी थी दलील
चिदंबरम को बचाने की कपिल सिब्बल की दलीलें हुईं बेकार

Chidambaram

CBI की स्पेशल कोर्ट ने चिदंबरम की रिमांड पर फैसला सुरक्षित

नई दिल्ली। INX मीडिया मामले में बृहस्पतिवार को पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम को लेकर राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। इसके बाद चिदंबरम को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का फैसला सुना दिया गया। अब चिदंबरम 19 सितंबर तक तिहाड़ जेल में रहेंगे। हालांकि अदालत में सीबीआई द्वारा चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजने की दलील का वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने विरोध भी किया, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ।
दरअसल, सीबीआई की विशेष अदालत राउज एवेन्यू कोर्ट में बृहस्पतिवार को पी चिदंबरम सुनवाई के लिए पहुंचे। यहां पर सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजने की पैरवी की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले की गंभीरता समझी और फिर आदेश पारित किया।
पी चिदंबरम भेजे गए तिहाड़ जेल, एक क्लिक में जानिए क्या है INX मीडिया केस

वहीं, कपिल सिब्बल ने चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने का विरोध करते हुए कहा कि अभी तक उनके मुव्वकिल पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ का कोई आरोप नहीं लगा है। यह पूरा मामला आरोपी के खिलाफ दस्तावेज का है। ऐसे में उन्हें जमानत दे देनी चाहिए।
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सिब्बल ने दलील दी कि चिदंबरम को सीबीआई ने 15 दिन के लिए हिरासत में रखा, लेकिन उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं पेश कर सकी। उन्होंने यह भी कहा अगर चिदंबरम को सीबीआई हिरासत में नहीं लेना चाहती है, तो वह स्वयं ईडी के सामने सरेंडर कर सकते हैं, लेकिन उन्हें न्यायिक हिरासत में नहीं भेजा जा सकता।
जबकि इसके विरोध में मेहता ने दलील दी कि यह मामला पी चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजने से संबंधित है। अदालत ही जमानत की याचिका पर फैसला लेगी। उन्होंने कहा की जब तक जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं होती, अदालत में बहस की कोई जरूरत नहीं है।
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सिब्बल ने इस पर कहा कि न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के लिए न्याय होना चाहिए। ज्यूडिशियल रिमांड पर भेजे जाने का आदेश तथ्यों के आधार पर होना चाहिए।
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वहीं, चिदंबरम ने भी कहा कि क्या इस बात कोई सबूत है जब उन्होंने गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास किया हो। क्या उन्होंने किसी भी दस्तावेज को प्रभावित करने का कभी प्रयास किया है? चिदंबरम ने स्पष्टीकरण दिया कि उन्होंने कभी भी सबूत मिटाने का प्रयास नहीं किया।
गौरतलब है कि अदालत ने पहले ही पी चिदंबरम को 5 सितंबर यानी आज तक के लिए सीबीआई की हिरासत में भेजा था। आज उनकी हिरासत की अवधि समाप्त हो रही थी। जबकि सुप्रीम कोर्ट से भी चिदंबरम को राहत नहीं मिली थी और उन्हें अंतरिम जमानत नहीं मिल सकी। इसके बाद से ही प्रवर्तन निदेशालय द्वारा चिदंबरम को गिरफ्तार किए जाने का रास्ता साफ हो गया था।
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