विविध भारत

ITBP का ऑर्डरः लड़कियों की फ्रेंड रिक्वेस्ट नहीं करें एक्सेप्ट

नई दिल्ली। इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) ने जवानों के लिए नए निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत उन्हें फेसबुक इस्तेमाल करते वक्त सावधानी बरतने को कहा गया है। इसमें कहा गया है कि जवान किसी भी अनजान शख्स या लड़की फ्रेंड रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट नहीं करे। साथ ही सेंसेटिव एरिया में तैनात जवानों को […]

2 min read
Apr 16, 2016
honey trap on facebook
नई दिल्ली। इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) ने जवानों के लिए नए निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत उन्हें फेसबुक इस्तेमाल करते वक्त सावधानी बरतने को कहा गया है। इसमें कहा गया है कि जवान किसी भी अनजान शख्स या लड़की फ्रेंड रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट नहीं करे। साथ ही सेंसेटिव एरिया में तैनात जवानों को किसी भी तरह के मोबाइल एप्स इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहा गया है। बता दें कि आतंकी संगठन आईएस जवानों को हनी ट्रैप में फंसाकर जानकारियां निकाल लेता है।

आईटीबीपी के डायरेक्टर जनरल कृष्णा चौधरी ने जवानों को यह आदेश दिया गया है कि वे किसी तरह के एप्स यूज नहीं करें, खासकर स्मैश एप को, क्योंकि यह एप लोकेशन के साथ ही दूसरी जानकारियां भी दे देता है। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले आर्मी ने अपने अफसरों और जवानों के लिए एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें गूगल प्लेस्टोर से वीचैट, स्मेश और लाइन ऐप को डाउनलोड नहीं करने के लिए कहा गया था।

गौरतलब है कि पिछले तीन साल में
आईएसआई के लिए जासूसी के आरोप में पकड़े जा चुके 34 लोगों में से 11
सशस्त्र सेनाओं के अफसर और जवान हैं। इस साल तो इनकी संख्या में तेजी से
हुआ इजाफा जाहिर करता है कि किस तरह आईएसआई अपने नापाक इरादे पूरा करने के
लिए फौजियों को फांस रही है।

वायुसेना के जवान भी फंसे थे हनी ट्रैप में
भटिंडा
में आया वायुसेना कर्मी केके रणजीत तो पिछले तीन साल से
आईएसआई की छद्म बाला के जाल में फंसा था। इससे पहले पंजाब के ही पठानकोठ
में तैनात रहा एक एयरमैन सुनील कुमार तो पिछले साल अगस्त में ही पकड़ा जा
चुका है। सूत्रों का कहना है कि आईएसआई की चाल से सैन्य कमांडरों को
लम्बे समय से चेताया जाता रहा है, फिर भी एक अनुमान के हिसाब से लगभग दो
हजार सैन्यकर्मी इस चाल में फंस चुके हैं, जिनके फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया
खातों पर नजर रखी जा रही है।

नियम तो सख्त है
ऐसे मामलों पर अंकुश के लिए रक्षा मंत्रालय ने सख्त नियम बना रखे हैं। गत जुलाई में ही सभी सैन्य इकाइयों से सोशल मीडिया पर सक्रिय कार्मिकों का ब्यौरा मांगा था। इसमें मोबाइल फोन व सिम कार्ड का नम्बर, मोबाइल इंस्ट्रूमेंट के आईएमईआई नम्बर, ऑपरेटिंग सिस्टम, मेमोरी कार्ड व वाइ-फाई के इस्तेमाल के अलावा ईमेल, वाट्सएप, फेसबुक, वीचैट, स्काईपे, ट्विटर, लिंक्ड-इन, माय स्पेश व ब्लॉग आदि की जानकारी संग्रहीत की जानी थी। इसके बावजूद बड़ी संख्या में फौजियों के झांसे में फंसने पर विशेषज्ञ भी अचम्भित हैं।

3 साल में पकड़े गए जासूस
वर्षजासूस पकड़े
201313
201407
201514
Published on:
16 Apr 2016 11:06 am
Also Read
View All

अगली खबर