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गणतंत्र दिवस की रैली का हश्र देख किसानों ने की तौबा, अब बजट सत्र वाले दिन संसद के सामने नहीं करेंगे प्रदर्शन

1 फरवरी को संसद मार्च नहीं करेंगे किसान। पंजाब किसान मजदूर समिति के पीछे सरकार की मिलीभगत।

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सरकार ने साजिश के तहत आंदोलन को तोड़ने की कोशिश की है।

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर ट्रेक्टर रैली के हिंसा के बाद से किसानों ने रैली से हाय तौबा करना शुरू कर दिया है। दो किसान संगठनों ने खुद को आंदोलन से अलग होने की घोषणा कर दी है। संयुक्‍त किसान मोर्चा के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि मंगलवार को सरकार ने साजिश के तहत आंदोलन को तोड़ने की कोशिश की है।

पंजाब किसान मजदूर समिति को आगे लाकर बैठाने के पीछे सरकार की मिलीभगत थी। इसके बावजूद हम बिना किसी कसूर के देशवासियों को खेद प्रकट करते हैं। लेकिन हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

30 जनवरी को देशभर में किसान आंदोलन

उन्होंने कहा कि 30 जनवरी को देशभर में आंदोलन की तरफ से जनसभाएं की जाएंगी। उन्‍होंने कहा कि हमने फैसला लिया है कि फैसला 30 जनवरी को देशभर में आंदोलन की तरफ से जनसभाएं की जाएंगी और एक दिन का अनशन किया जाएगा। फ‍िलहाल हमने 1 फरवरी को संसद पर मार्च का कार्यक्रम रद्द कर दिया है।

सिद्धू का सामाजिक बहिष्कार

हिंसा की घटना के बाद योगेंद्र यादव ने कहा कि टेक्टर रैली के दौरान कुछ घटनाएं हमारी योजनाओं के अनुसार नहीं थीं। आप जानते हैं कि हमने ऐसी घटनाओं से खुद को अलग कर लिया है। दीप सिद्धू और पंजाब किसान मजदूर समिति के अंदर के रोल को हमने पर्दाफाश किया है। हम पूरे देश से दीप सिद्धू के सामाजिक बहिष्‍कार की अपील करते हैंं। उन्होंने कहा कि तिरंगे की बेदअदबी करना देश का अपमान है।


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