scriptजर्मन शांति समूह और अभिभावकों की आपत्ति के बाद टाॅय कंपनी ‘लेगो’ ने बदला रुख, अब नहीं बनाएगी वाॅर मशीनें | Toy company will not make 'Lego' new age war machine | Patrika News

जर्मन शांति समूह और अभिभावकों की आपत्ति के बाद टाॅय कंपनी ‘लेगो’ ने बदला रुख, अब नहीं बनाएगी वाॅर मशीनें

Published: Dec 16, 2020 08:22:51 am

Submitted by:

Ashutosh Pathak

Highlights.
– लड़ाकू हेलीकॉप्टर वी -22 ऑस्प्रे के सेट पर विवाद के बाद कंपनी का फैसला
– कंपनी की यह फैसला लड़ाकू हेलीकॉप्टर वी-22 ऑस्प्रे के सेट पर विवाद के बाद आया
– जर्मन शांति समूह और अभिभावकों की नाराजगी के बाद वापस लिया मॉडल
 

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नई दिल्ली.

खिलौना बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी लेगो ने घोषणा की है कि वह नए जमाने की वॉर मशीन नहीं बनाएगा। कंपनी की यह फैसला लड़ाकू हेलीकॉप्टर वी-22 ऑस्प्रे के सेट पर विवाद के बाद आया है। दरअसल, जर्मन शांति समूह और अभिभावकों के एक समूह ने कंपनी के इस तरह के खिलौनों पर आपत्ति ली थी, जिसके बाद कंपनी ने अपना लड़ाकू हेलीकॉप्टर वी-22 ऑस्प्रे का सेट भी बाजार से वापस ले लिया है।
दरअसल, कल के बिल्डरों को प्रेरित करें की थीम लेकर चलने वाली डेनमार्क की कंपनी लेगो दुनिया की सबसे बड़ी खिलौनों की कंपनी है। जिसकी सालाना रेवेन्यू करीब 620 करोड़ यूएस डॉलर है और पूरी दुनिया में इसके खिलौनों को पसंद किया जाता है। कंपनी युद्ध में उपयोग होने वाले हथियारों के खिलौने बनाने के लिए भी चर्चित है। अभी हाल में लड़ाकू हेलीकॉप्टर वी-22 ऑस्प्रे के मॉडल के बाद इसका विरोध शुरू हो गया। उसके बाद कंपनी ने साफ किया है कि वह नए जमाने की वॉर मशीन नहीं बनाएगा।
इसके साथ ही कंपनी ने अपने इस सेट को वापस लेने का ऐलान किया है। इसके बाद बाजार में इस खिलौने की कीमत एक हजार यूएस डॉलर तक पहुंच गई है, जबकि कंपनी ने इसे महज 120 यूएस डॉलर कीमत में लांच किया था। जर्मन शांति समूह की आपत्ति थी कि इस तरह के खिलौने बच्चों के सामने अनैतिक और हिंसक संघर्ष का महिमामंडन करते हैं।
ये जरूर देखें कि बच्चों को क्या देखना है
किसी भी गलत चीज को बार—बार देखने से बच्चों को वह सही लगने लगती है। मारधाड़ और हिंसात्मक गतिविधियां उनके मन को प्रभावित करती हैं और यह उनमें समस्याएं पैदा कर सकती है। जीवन में बदलाव जरूरी है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि हम बच्चों को गलत तरफ मोड़ दें। नया करने से बेहतर है कि हम उन्हें एक रुटीन में रखें तो बेहतर रहेगा।
डॉ. केरसी चावड़ा, प्रसिद्ध मनोचिकित्सक, हिंदुजा हॉस्पिटल, मुंबई
प्रभावित होती है बच्चों की मनोदशा
हिंसक खिलौने बच्चों की मनोदशा को प्रभावित करते हैं। 15 साल तक बच्चे बाहरी दुनिया से प्रभावित होते हैं। ऐसे में उन्हें हिंसक खिलौने और इस तरह की दूसरी चीजों से सुरक्षित रखना जरूरी है। हिंसा के प्रति उनका व्यवहार उनमें मानसिक विकृतियां पैदा कर सकता है।
सत्यकांत त्रिवेदी, प्रतिष्ठित मनोचिकित्सक, भोपाल
खिलौनों का बाजार
– स्टैटिस्टा के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में खिलौना बाजार का व्यापार 6.64 लाख करोड़ रुपए का है।
-आइबीआइएस वल्र्ड की रिपोर्ट के मुताबिक तो दुनिया के 70 फीसदी खिलौने चीन के बने होते हैं।
– चीन के करीब 58 फीसदी खिलौने अमेरिका और यूरोपियन यूनियन में जाते हैं।
– खिलौनों में भारत की हिस्सेदारी केवल आधा फीसदी है।
– रिलायंस के मुकेश अंबानी ने 2019 में ब्रिटेन की खिलौना कंपनी हैमलेज को खरीद लिया है, इस कंपनी 18 देशों में 167 स्टोर हैं।
– भारतीय बाजार के 25 फीसदी खिलौने स्वदेशी हैं, लेकिन 75 फीसदी विदेशी हैं। जिसमें अकेले 70 फीसदी खिलौनो का माल चीन से आता है।
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