
बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने आखिर सीबीएसई के निर्णय पर क्यों जताई आपत्ति
कोलकाता.
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो तथा पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने सीबीएसई के निर्णय पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है।
सीबीएसई की ओर से पाठ्यक्रमों से धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रवाद, नागरिकता, नोटबंदी और लोकतांत्रिक अधिकारों जैसे विषयों को सिलेबस से हटाने पर तीव्र आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की हैरानी है कि केंद्र सरकार ने सीबीएसई पाठ्यक्रम के भार को कम करने के नाम पर नागरिकता, संघवाद धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रवाद, नागरिकता, नोटबंदी जैसे विषयों को हटा दिए। ममता ने कहा कि हम महत्त्वपूर्ण विषयों को हटाने के सीबीएसई के फैसले का कड़ा विरोध करते हैं।
उन्होंने कहा कि मानव संसाधन मंत्रालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सीबीएसई के पाठ्यक्रमों से महत्त्वपूर्ण पाठों को नहीं हटाया जाए। उल्लेखनीय है कि सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं में अगले साल शामिल होने वाले विद्यार्थियों को धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रवाद, नागरिकता, नोटबंदी और लोकतांत्रिक अधिकारों के बारे में पढ़ने की जरूरत नहीं होगी।
केंद्र सरकार ने यह तर्क दी है कि कोरोना वायरस संकट के बीच विद्यार्थियों पर पाठ्यक्रम का बोझ कम करने के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए कक्षा नौवीं से 12वीं के लिए 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम को घटाते हुए बुधवार को नया पाठ्यक्रम अधिसूचित किया है। अद्यतन पाठ्यक्रम के मुताबिक, 10वीं कक्षा के पाठ्यक्रम से हटाए गए पाठ वे हैं जो लोकतंत्र एवं विविधता, लिंग, जाति एवं धर्म, लोकप्रिय संघर्ष एवं आंदोलन और लोकतंत्र के लिए चुनौतियां जैसे विषय से संबंधित थे।
वहीं, 11वीं कक्षा के लिए हटाए गए हिस्सों में संघवाद, नागरिकता, राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता और भारत में स्थानीय सरकारों के विकास से संबंधित पाठ शामिल हैं। इसी तरह, 12वीं कक्षा के छात्रों को भारत के अपने पड़ोसियों- पाकिस्तान, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल के साथ संबंध, भारत के आर्थिक विकास की बदलती प्रकृति, भारत में सामाजिक आंदोलन और नोटबंदी सहित अन्य विषय पर पाठों को नहीं पढ़ना होगा।
Published on:
08 Jul 2020 10:58 pm
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