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UP BUDGET 2018: मुरादाबाद के साढ़े तीन लाख बेरोजगार पीतल कारीगरों को योगी सरकार से संजीविनी कि उम्मीद

UP Budget 2018 : पीतल नगरी मुरादाबाद के कारीगरों को बजट में कर में छूट मिलने की उम्मीद , कर छूट से पीतल उद्योग में होगी बढ़ोतरी

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मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश कि योगी सरकार अपना एक साल पूरा करने जा रही है। जिसमें उसके सामने अपने चुनावी वादों को पूरा करने कि चुनौती है। इसी क्रम में देश दुनिया में अपनी पीतल के चमक के लिए पीतल नगरी यानि मुरादाबाद के साढ़े तीन लाख से अधिक पीतल दस्तकारों ने योगी सरकार से पीतल उद्योग के कर में छूट देने कि अपील कि है। क्यूंकि बीस हजार करोड़ का कारोबार करने वाला पीतल उद्योग महज पांच हजार करोड़ पर आकर सिमट गया है। जिस कारण पीतल दस्तकार बेरोजगार हो गए हैं। उन्हें उम्मीद है कि सरकार मंशा अगर वाकई हस्तशिल्प को ज़िंदा रखने कि है तो वे पीतल दस्तकारों और उनसे जुड़े परिवारों के लिए कुछ न कुछ जरुर रखेंगे।

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मुरादाबाद ब्रास कारखानादार एसोसिएशन के चेयरमैन आज़म अंसारी ने बताया कि इंटरनेशनल लेबर ओर्गैनाइजेश्न के आंकड़ो के मुताबिक मुरादाबाद के पीतल उद्योग से जुड़े तकरीबन तीन लाख साठ हजार पीतल दस्तकार खाली हैं। ये सब बेरोजगार होने के कारण पलायन कर रहे हैं और या फिर कोई अन्य धंधा करने को मजबूर हैं। इसलिए सरकार को चाहिए कि पिछली अखिलेश सरकार ने 2014 में जो हस्तशिल्प नीति बनाई थी। उसे लागू करें। ताकि जो साढ़े तीन लाख दस्तकार और उनसे जुड़े परिवार हैं। उनके चेहरे पर मुस्कान लौट सके। आज़म अंसारी के मुताबिक नोटबंदी और जीएसटी के बाद मुरादाबाद का हस्तशिल्प लगभग खत्म होने कि कगार पर है। अगर योगी सरकार चाहे तो इसे कर में छूट का प्रस्ताव बनाकर केंद्र को भेज सकती है। क्यूंकि ये कुटीर उद्योग है। इसे आम लोग अपने घरों गली मुहल्लों में करते हैं। यही नहीं दस्तकारों के पलायन से पीतल दस्तकारी जो मुरादाबाद कि पूरी दुनिया में पहचान है। उसका भी खत्म होने का खतरा है।

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यहां बता दें कि मुरादाबाद में बड़े पैमाने पर पीतल का कारोबार होता आ रहा है। लेकिन केंद्र व् राज्य सरकारों कि उदासीनता से इस उद्योग में लगातार गिरावट जारी है। यहां के निर्यातक कई बार इस उद्योग के कर में छूट कि मांग कर चुके हैं। लेकिन किसी भी सरकार ने कोई सुध in दस्तकारों और निर्यातकों की नहीं ली। जिस कारण देश को विदेशी मुद्रा देने वाला ये शहर और उद्योग सिमट रहा है।


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