
ट्रंप के टैरिफ बढ़ने से मुरादाबाद के निर्यातकों को झटका | Image Source - Social Media
Trump tariff hike: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत के निर्यातों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा ने मुरादाबाद के हस्तशिल्प उद्योग की कमर तोड़ दी है। पहले से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा से जूझ रहे स्थानीय निर्यातकों के लिए यह फैसला किसी तगड़े झटके से कम नहीं है। बुधवार को इस नीति के विस्तार के ऐलान के साथ ही मुरादाबाद के कारोबारियों और कारीगरों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं।
मुरादाबाद से अमेरिका को होने वाला निर्यात लगभग 5500 करोड़ रुपये का है, जिसमें मुख्य रूप से मेटल क्राफ्ट, लकड़ी और राल से बने सजावटी सामान और टेबलवेयर जैसे उत्पाद शामिल हैं। अमेरिका में इन उत्पादों की भारी मांग रही है, लेकिन अब 25 प्रतिशत टैरिफ लगने से ये वस्तुएं महंगी हो जाएंगी और अमेरिका के संवेदनशील उपभोक्ता बाजार में अपनी पकड़ खो सकती हैं।
जहां पहले 1,000 डॉलर में मिलने वाला उत्पाद अब 1,250 डॉलर में मिलेगा, वहां ग्राहक सस्ते विकल्प की तलाश करेंगे। इसका सीधा असर ऑर्डर पर पड़ेगा नए ऑर्डर रद्द हो सकते हैं या कम आ सकते हैं।
मुरादाबाद का हस्तशिल्प उद्योग हजारों कारीगरों और शिल्पकारों को रोज़गार देता है। अगर ऑर्डर में गिरावट आती है तो इसका असर सबसे पहले इन कारीगरों पर ही पड़ेगा। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि यदि समय रहते सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया, तो हज़ारों परिवारों की रोज़ी-रोटी पर गहरा संकट आ सकता है।
यह संकट तब शुरू हुआ जब अमेरिका ने 2 अप्रैल 2025 को सभी देशों पर 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ की घोषणा की। इसके बाद 5 अप्रैल से भारत के मेटल हैंडीक्राफ्ट उत्पादों पर यह शुल्क लागू कर दिया गया। 3 जून को, अमेरिका ने एल्यूमिनियम और स्टील उत्पादों पर शुल्क को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया, जिससे मुरादाबाद के मिक्स मेटल उत्पादों की लागत में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई।
अब जब 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा की गई है, तो लागत और दाम इतने अधिक हो जाएंगे कि भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के उत्पादों की तुलना अब चीन, वियतनाम, मलेशिया और थाईलैंड जैसे देशों से की जाएगी, जो पहले से कम टैरिफ का लाभ उठाकर सस्ते उत्पाद अमेरिका भेजते हैं।
इसके अलावा अमेरिकी आयातक भारत से फिक्स प्राइस डिलीवरी की मांग करते हैं। ऐसे में अब भारतीय निर्यातकों के लिए अतिरिक्त लागत वहन कर पाना लगभग असंभव हो जाएगा।
व्यापार मंडलों और निर्यात संगठनों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि अमेरिका के साथ उच्चस्तरीय वार्ता कर मुरादाबाद के हस्तशिल्प उत्पादों को टैरिफ से छूट दिलाई जाए। साथ ही भारत को अमेरिका के साथ किसी विशेष व्यापार समझौते की दिशा में कदम उठाना चाहिए, ताकि कारीगरों और छोटे उद्यमियों का हित सुरक्षित रह सके।
मुरादाबाद का हस्तशिल्प उद्योग न केवल एक व्यापारिक पहचान है, बल्कि यह लाखों कारीगरों की मेहनत और परंपरा का प्रतीक भी है। अमेरिकी टैरिफ के इस बवंडर से उबरने के लिए अब सरकार, निर्यातकों और नीति-निर्माताओं को मिलकर ठोस रणनीति बनानी होगी, वरना यह संकट केवल व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सामाजिक-आर्थिक संकट का रूप ले सकता है।
Published on:
31 Jul 2025 07:40 pm
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