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रामपुर में योग दिवस का बना मजाक, ऱजा लाइब्रेरी के डायरेक्टर भी नहीं कर पाए योग

रज़ा लाइब्रेरी डायरेक्टर ने कहा कि लोग नहीं करना चाहते योग

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रामपुर में योग दिवस का बना मजाक, ऱजा लाइब्रेरी के डायरेक्टर भी नहीं कर पाए योग

रामपुर। करीब पांच हजार साल पुरानी योग परंपरा को एक बार फिर पूरे विश्व ने अपनाया है और इसका श्रेय भारत को हा जाता है। रोजाना योग से ना सिर्फ अपने मन, मष्तिस्क के सभी विकार दूर होते हैं बल्कि शरीर को भी स्वस्थ्य रख सकते हैं। पूरे विश्व के साथ ही देश के भी अलग-अलग हिस्सों में योग के रंग देखने को मिले। सूबे के रामपुर जिले में इस्लामी संस्कृती से जुड़ी एशिया की सबसे बड़ी रज़ा लाइब्रेरी में भी योग दिवस मनाया गया। लेकिन लोगों में योग को लेकर जागरुकता कम देखने को मिली। इतना ही नहीं खुद लाइब्रेरी के डायरेक्टर का भी यहीं मानना है। उन्होंने तो ये तक कहा कि बहुत से लोग योग करना ही नहीं चाहते।

रामपुर के रजा लाइब्रेरी में योग का आयोजन तो किया गया। लेकिन इलाके के लोगों मे कोई उत्साह देखने को नहीं मिला। आलम ये रहा की योग करने के लिए बस 40 से 50 लोग पहुंचे। जबकि पहली बार यहां जब योग हुआ तो दो हज़ार से ज्यादा लोग योग करने पहुंचे थे। इतना ही नहीं आयोजनकर्ता लाइब्रेरी के डायरेक्टर को ही आसनो की जानकारी नहीं। ये हम नहीं खुद अब्बास सहाब ने अपने मुंह से कही। उन्होंने कहा कि एक साल में एक बार ही मौका मिलता है योग करने का, जिसकी वजह से ठीक से योग नहीं आता। हालाकि उन्होंने कहा कि वो कोशिश करते हैं कि अब रोजाना योग करें जिससे आने वाले सालों में योग दिवस पर ठीक से योग कर सकें। लोगों के कम पहुंचने पर उन्होंने कहा कि यहां पर भीड़ इस लिए नही है क्योंकि जिसको जहां योग करना है वह वहां कर लेता है।

इसके साथ ही रज़ा लाइब्रेरी डायरेक्टर ने चौकाने वाली बात भी बताई उन्होंने कहा कि कुछ लोग योग करना ही नहीं चाहते। जाहिर है कि यहां पर योग दिवस को लेकर ना ही कोई तैयारी करवाई गई और न ही योग को लेकर किसी में गम्भीरता नजर आई।


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