scriptSawan 2018: श्रावण मास में तांबे के लोटे में दूध डालकर नहीं करना चाहिए भगवान भोलेनाथ का अभिषेक, जानिए क्‍या है वजह | sawan 2018 Shravan Month start from 28 july aise karen shiv ki puja | Patrika News
मुरादाबाद

Sawan 2018: श्रावण मास में तांबे के लोटे में दूध डालकर नहीं करना चाहिए भगवान भोलेनाथ का अभिषेक, जानिए क्‍या है वजह

28 जुलाई से शुरू हो रहा है श्रावण मास, 27 जुलाई को पड़ रही है आषाढ़ पूर्णिमा

मुरादाबादJul 13, 2018 / 03:17 pm

sharad asthana

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मुरादाबाद। सावन (श्रावण) मास 28 जुलाई से शुरू हो रहा है। माना जाता है क‍ि इसमें भगवान शिव की आराधना करने से विशेष फल मिलता है। ज्‍योतिष पंकज वशिष्‍ठ का कहना है क‍ि 27 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा पड़ रही है। इसे गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं। इसके बाद श्रावण मास प्रारंभ होगा। श्रावण मास की प्रथम तिथि मतलब प्रतिपदा तिथि 28 जुलाई दिन शनिवार को है। 28 जुलाई श्रावण मास की प्रथम तिथि है।
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विशेष संयोग लेकर आया है श्रावण मास

उनका कहना है क‍ि श्रावण मास बहुत विशेष संयोग लेकर आया है। भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए यह बहुत सुंदर समय होता है। इसमें पूजा करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्‍न होकर भक्‍त की मनोकामना पूरी करते हैं। इस दौरान पूरा संसार शिवमय हो जाता है। इसी दौरान कांवड़ यात्रा भी शुरू होती है। सावन की शिवरात्रि का भी विशेष महत्‍व है।
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दांपत्‍य जीवन में आती है सुख-शांति

ज्‍योतिष पंकज वशिष्‍ठ के अनुसार, श्रावण मास का सिद्ध मंत्र है ॐ नम: शिवाय। रोगी अपनी बीमारी से मुक्ति पाने के लिए भी ओम मंत्र का जाप करें। इससे उन्‍हें स्‍वास्‍थ्‍य लाभ मिलेगा। ॐ नम: शिवाय का जाप करने से दांपत्‍य जीवन में भी सुख-शांति मि‍लती है। श्रावण मास में प्रत्‍येक दिन भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
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ऐसे करें पूजा

इस मास में रोज ॐ नम: शिवाय का जाप करें। भगवान शिव की पूजा करने के लिए साबूत बिल्‍व पत्र ॐ नम: शिवायका जाप करते हुए भगवान शिव को अर्पित करें। ध्‍यान रहें क‍ि इसके पत्‍ते पूरे हो। ये खंडित नहीं होने चाहिए। और भी अच्‍दा होगा क‍ि आप इस पर चंदन से राम का नाम लिख दें। भगवान सिर्फ राम की भक्ति में विलीन रहते हैं। राम का नाम बेल पत्र पर लिखकर भगवान को अर्पित करें। भगवान को धतूरा, पुष्‍प कनेर का फूल अर्पित करें।
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तांबे के लोटे में केवल गंगाजल लें

पीतल के लोटे में गंगाजल लेकर भगवान का अभिषेक करें। उन्‍होंने कहा कि ध्‍यान रखें कि तांबे के लोटे में गंगाजल या दूध न लें क्‍योंकि तांबे के लोटे में दूध विष बन जाता है। तांबे के लोटे में केवल गंगाजल लें। पीतल के लोटे में गंगाजल, गाय का दूध और काले तिल डालकर भगवान का अभिषेक करें। इससे राहु और शनि की पीड़ा शांत हो जाएगी।

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