विधानसभा चुनाव में भाजपा को 105 सीटें ही मिलने और राज्य में पुन: भाजपा की सरकार नहीं बन पाने के मामले में एकनाथ खडसे ने कहा कि पार्टी के राज्य में नेताओं की मनमानी और गैर जिम्मेदारी के चलते भाजपा को यह नुकसान हुआ है। वरिष्ठ नेताओं को ही ताक पर रखकर चुनाव लड़ा गया। ज्यादातर वरिष्ठ नेताओं के टिकट ही काट दिए गए। उन्हें विश्वास में भी नही रकह गया। यदि सभी की सम्मति और आपसी सहमति से चुनाव लड़ा गया होता और वरिष्ठ नेताओं को दर किनार नही किया गया होता तो राज्य में फिर भाजपा की सरकार होती। 20 से 30 सीटें भाजपा और जीत सकती थी लेकिन इनकी मनमानी और अपने समर्थको को बढ़ाने के चक्कर मे भाजपा निपट गई।
राज्य में पिछली आघाडी सरकार के कार्यकाल में 70 हजार करोड़ रुपए के सबसे बड़े सिंचाई घोटाला के आरोप से कई नेताओं को बरी होने पर भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे ने फडणवीस सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। खडसे ने कहा कि सिंचाई घोटाले में भाजपा ने वर्ष 2014 विधानसभा चुनाव से पहले जो भी दसतावेज बैलगाड़ी में भरकर जांच एजेंसियों और सरकार को जमा कराए थे। वह सभी सबूत कब का रद्दी मे बेचा जा चुका है। जब कोई सबूत ही नहीं तो जांच बंद करना ही भ्रष्टाचार निरोधक दल के लिए विकल्प बना। खडसे मीडिया को दिए बयान में पिछली फडणवीस सरकार को निशाने पर लिए। इसी के साथ फडणवीस के नेतृत्व में लड़े गए विधानसभा चुनाव की नीतियों में खामियों को भी उजागर किया गया है।
वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले तक भाजपा ने राज्य में 70 हजार करोड़ रुपए की सिंचाई घोटाला को जम कर उठाया। एनसीपी और कांग्रेस की आघाडी सरकार को सबसे भ्रष्ट बताते हुए जांच की मांग की। दावा किया कि भाजपा सत्ता में आएगी तो किसानों को नुकसान पहुचाने वाले इन सिंचाई घोटाले में शामिल सभी को जेल भेजेगी। इसमें सबसे बड़ा नाम एनसीपी नेता अजित पवार का नाम था। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने बैलगाड़ी भरकर सबूत जांच एजेंसियों को सौंपे थे। लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा ने जांच को ढीला कर कर दिया। जब-जब एनसीपी और उसके नेता उग्र होते उन्हें एक नोटिस भेज देते थे। किंतु एनसीपी को छोड़कर और अपने परिवार के साथ दगा कर एनसीपी विधायकों को लेकर भाजपा के साथ सरकार बनाने पहुंचे अजित पवार को उपमख्यमंत्री और खुद दुबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके फडणवीस को पद संभालते ही भ्रष्टाचार निरोधक दल ने सिंचाई घोटाले से जुड़े कई मामलों की फाइलें ही बंद कर दी। जिसके बाद से भाजपा के उन नेताओं का गुस्सा चरम पर आ गया। घोटाले से जुड़े दस्तावेज जमा कर जांच एजेंसियों को सौपेने में भाजपा के कई नेताओं में विधानसभा में विपक्ष नेता रहे एकनाथ खडसे सबसे आगे थे।
चचेरे भाई के गले लगी, आदित्य को दिया आशीष
विधानसभा के विशेष सत्र में एनसीपी प्रमुख शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले चुने हुए नए विधायकों का स्वागत करती नजर आईं। विधानसभा भवन के गेट पर सुप्रिया सुले एनसीपी, शिवसेना, कांग्रेस समेत दूसरे दलों के विधायकों का स्वागत करती दिखी। उनके स्वागत में सबसे खास लम्हा अपने चचेरे भाई अजित पवार के गले लगना और उसके बाद उद्धव ठाकरे के बेटे और पहली बार विधायक बने आदित्य ठाकरे को गले लगाकर आशीष देना रहा। अजित पवार से गले लगकर सुप्रिया सुले ने उनका स्वागत किया और कहा कि जिंदगी में कभी अच्छे दिन होते हैं, कभी बुरे..कुछ खट्टा-मीठा चलता रहता है। ये उनका ही घर है, ऐसे में स्वागत करने जैसी कोई बात नहीं है। इसके बाद सुप्रिया सुले ने पूर्व सीएम और महाराष्ट्र में भाजपा का सबसे महत्वपूर्ण चेहरा बन चुके देवेंद्र फडणवीस का भी स्वागत किया और उनसे मुस्कुराते हुए बात की।
पैसे लेकर विधायकों के पीछे घूम रहे थे, बहुमत खरीदने का प्रयास फेल हुआ
मुंबई. शिवसेना के मुखपत्र सामना में शिवसेना ने अपनी कूटनीतिक जीत पर भारतीय जनता पार्टी पर जमकर निशाना साधा है। शिवसेना ने कहा कि सभी की शेखी हवा में उड़ गई। आखिरकार देवेंद्र फडणवीस की क्षणिक सरकार विश्वासमत के पहले ही गिर गई।
सामना में लिखा कि जिन अजित पवार के समर्थन से फडणवीस ने सरकार बनाने का दावा किया, उन्होंने पहले ही उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और अजीत पवार के साथ दो विधायक भी नहीं बचे। इसका विश्वास हो जाने पर देवेंद्र फडणवीस को भी जाना पड़ा। भ्रष्ट और गैरकानूनी तरीके से महाराष्ट्र की गर्दन पर बैठी सरकार सिर्फ 72 घंटों में विदा हो गई।
सामना में लिखा गया है कि संविधान दिवस के दिन ही सर्वोच्च न्यायालय का ये फैसला आना और थैलीशाही और दमनशाही की राजनीति करनेवालों को झटका लगना, इसे भी एक सुखद संयोग कहा जाएगा। सत्ताधारियों ने भले ही लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांत का बाजार लगाया हुआ था, इसके बावजूद सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से वह ध्वस्त हो गया। एजेंट पैसों का बैग लेकर विधायकों के पीछे घूम रहे थे। बहुमत खरीदकर राज करने का प्रयास विफल हो गया।
सामना ने देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के शपथ ग्रहण पर निशाना साधते हुए लिखा कि जनता का तो कहना था ही लेकिन मंगलवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट ने भी राजभवन की नीति पर सवाल खड़े कर दिए। 24 घंटों में बहुमत साबित करने का आदेश दिया गया और तब फडणवीस की गैरकानूनी तरीके से बनाई गई सरकार गिरेगी, ये बताने के लिए किसी ज्योतिषी की आवश्यकता नहीं रह गई।