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कितने दिन में मिलती है Gratuity, कितनी मिलती है रकम, कैसे होती है पूरी Calculation?

Gratuity Payment Act 1972 के नियमों के मुताबिक, अधिकतम 20 लाख रुपए तक हो सकती है ग्रेच्युटी की रकम कर्मचारी के नौकरी छोडऩे या नौकरी से हटाए जाने या फिर उसके रिटायर होने पर मिलती है Gratuity का पैसा

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Saurabh Sharma

Jul 06, 2020

How to get gratuity, how much money is received, how is calculation?

How to get gratuity, how much money is received, how is calculation?

नई दिल्ली। बीते कुछ दिनों से ग्रेच्युटी ( Gratuity ) काफी ट्रेंड में है। सरकार ग्रेच्युटी मिलने की पांच साल अनिवार्यता को खत्म करने पर विचार कर रही है। खासकर उन कर्मचारियों को जिन्होंने हाल ही मे नौकरी शुरू की है, उन्हें ग्रेच्युटी के बारे में काफी कम पता है। कई तरह के सवाल उनके मन में कौंध रहे होंगे। जैसे कितने दिन में ग्रेच्युटी मिलती है। कितनी रकम मिलती है? सबसे अहम बात कि इसकी कैल्कुलेशन ( How to Calculate Gratuity ) कैसे होती है? आइए आपको भी बताते हैं...

किन लोगों को मिलती है ग्रेच्युटी पेमेंट?
- ग्रेच्युटी नियमों के अनुसार ग्रेच्युटी की रकम अधिकतम 20 लाख रुपए तक हो सकती है।
- ग्रेच्युटी के लिए कर्मचारी को एक ही कंपनी में कम से कम 5 साल तक नौकरी करना अनिवार्य है।
- कम वक्त के लिए की गई नौकरी की स्थिति में कर्मचारी ग्रेच्युटी की पात्रता नहीं रखता।
- 4 साल 11 महीने में नौकरी छोडऩे पर भी ग्रेच्युटी नहीं मिलती है।
- हालांकि, अचानक कर्मचारी की मौत या दुर्घटना होने पर नौकरी छोडऩे की स्थिति में ये नियम लागू नहीं होता।

कब बनाया बनाया गया था ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट
- कर्मचारियों के हितों की रक्षा के उद्देश्य से साल 1972 में ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट अस्तित्व में आया था।
- एक्ट में माइनिंग एरिया, फैक्ट्री, ऑयल फील्ड्स, वन क्षेत्र, प्राइवेट कंपनी और पोट्र्स जहां जहां 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।
- ग्रेच्युटी और भविष्य निधि बिल्कुल अलग-अलग होते हैं।
- ग्रेच्युटी में पूरा पैसा कंपनी देती है।
- भविष्य निधि में 12 फीसदी अंशदान कर्मचारी का भी होता है।

कब मिलती है ग्रेच्युटी?
- कर्मचारी नौकरी छोडऩे के बाद ग्रेच्युटी निकालने के लिए आवेदन कर सकता है।
- आवेदन करने की तारीख से 30 दिन के अन्दर उसे भुगतान कर दिया जाता है।
- अगर कंपनी ऐसा नहीं करती है तो उसे ग्रेच्युटी राशि पर साधारण ब्याज की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा।
- अगर यदि कंपनी ऐसा नहीं करती है तो उसे ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम,1972 के उल्लंघन का दोषी माना जाएगा, जिसमे उसे 6 महीने से लेकर 2 साल तक की सजा हो सकती है।

दो कैटेगरी में तय होती है ग्रेच्युटी
पहली कैटेगिरी में वे कर्मचारी जो ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 के दायरे में आते हैं और दूसरी कैटेगरी में कर्मचारी जो ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 के दायरे में नहीं आते। पहले बात पहले पहली कैटेगिरी की करें तो उसके फॉर्मूले में मूल वेतन+महंगाई भत्ता+बिक्री पर मिला कमीशन (अगर हो तो). इस फॉर्मूले में महीने में 26 दिन कार्य दिवस मानकर कर्मचारी को 15 दिन का औसत निकालकर भुगतान होता है। वहीं नौकरी के आखिरी साल में 6 महीने से ऊपर की नौकरी को पूरा साल माना जाएगा। वहीं जो कर्मचारी एक्ट में नहीं आते उनकी ग्रेच्युटी का फॉर्मूले में मूल वेतन+महंगाई भत्ता+बिक्री पर मिला कमीशन (अगर हो तो)। फॉर्मूले में महीने में 30 दिन कार्य दिवस मानकर कर्मचारी को 15 दिन का औसत निकालकर भुगतान होता है।

मौत होने पर ग्रेच्युटी की कैल्कुलेशन
नौकरी के दौरान मौत होने पर ग्रेच्युटी का भुगतान नौकरी की अवधि के आधार पर होता है। जहां अधिकतम 20 लाख रुपए तक की रकम मिलती है। अगर नौकरी एक साल से कम हो तो मूल वेतन का दोगुना मिलता है। वहीं जिनकी नौकरी एक साल से ज्यादा और पांच से कम हो तो मूल वेतन का छह गुना भुगतान होता है। वहीं नौकरी 5 साल से ज्यादा लेकिन 11 साल से कम हो तो मूल वेतन का 12 गुना मिलेगा। 11 साल से ज्यादा लेकिन 20 साल से कम नौकरी होने पर मूल वेतन का 20 गुना दिया जाएगा। वहीं 20 साल से ज्यादा नौकरी होने पर हर छह महीने की नौकरी के लिए मूल वेतन का आधा दिया जाएगा।