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डायरेक्ट निवेश करेंगे तो फायदे के साथ होगा नुकसान का भी जोखिम

- जानिए म्यूचुअल फंड्स में रेगुलर या डायरेक्ट कौन सा है निवेश का बेहतर तरीका ।

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invest in Mutual Funds

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नई दिल्ली । म्यूचुअल फंड स्कीम में रेगुलर तरीके से निवेश करने के साथ निवेशक डायरेक्ट भी निवेश कर सकते हैं। रेगुलर तरीके में स्कीम का फंड मैनेजर या डिस्ट्रीब्यूटर इन्वेस्टमेंट कॉल के बदले शुल्क (एक्सपेंस रेशियो) लेते हैं। वहीं, डायरेक्ट निवेश में बिचौलिए यानी डिस्ट्रीब्यूटर और फंड मैनेजर की भूमिका समाप्त हो जाती है। इससे निवेशकों का मुनाफा बढ़ जाता है।

डायरेक्ट निवेश के फायदे-
कम खर्च: फंड हाउस निवेशकों के निवेश का प्रबंधन करने के लिए उनसे एक्सपेंस रेशियो वसूलते हैं जो इक्विटी के मामले में निवेश की जाने वाली कुछ राशि का एक से 2.5 फीसदी होता है। वहीं डेट स्कीम के लिए यह 0.6 प्रतिशत तक होता है। जबकि डायरेक्ट स्कीम में यह शुल्क अधिकतम 1 फीसदी है। इससे निवेशकों का खर्च कम हो जाता है।

ज्यादा रिटर्न: डायरेक्ट मोड में निवेशकों की लागत कम हो जाती है, क्योंकि इसमें कोई डिस्ट्रीब्यूटर शामिल नहीं होता है। इससे लंबी अवधि में निवेशकों को बेहतर रिटर्न मिलता है। रेगुलर निवेश की तुलना में डायरेक्ट निवेश में रिटर्न 1.5 फीसदी तक अधिक मिलता है।

डायरेक्ट निवेश के नुकसान-
स्कीम चुनने में त्रुटि-
अपने लिए उपयुक्त स्कीम का चयन करना कठिन काम है। अक्सर निवेशक भविष्य के अपेक्षित प्रदर्शन को ध्यान में रखे बिना पिछले प्रदर्शन को देखकर ही स्कीम चुन बैठते हैं। इससे भविष्य में नुकसान होने का खतरा रहता है।

निर्णय में गलती-
बाजार की स्थिति के आधार पर पोर्टफोलियो की समीक्षा की जानी चाहिए। नियमित अंतराल पर उसमें जरूरी परिवर्तन करते रहना चाहिए। डायरेक्ट निवेश करने वाले निवेशकों को सही निर्णय लेने में विफल होने का खतरा रहता है।