21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

उथल-पुथल में भी निवेश को स्थिर रखते है लार्ज कैप

निवेशकों की व्यवहार संबंधी पहल बाजार रुझानों को और बढ़ा देती है, जिससे बाजार को गति मिलती है।

2 min read
Google source verification

निवेशकों की व्यवहार संबंधी पहल बाजार रुझानों को और बढ़ा देती है, जिससे बाजार को गति मिलती है। कुछ ही निवेशक धीरे-धीरे अपनी धारणाओं को नई जानकारी या वास्तविकताओं के अनुसार एडजस्ट करते हैं। ऐसा करने का मनोवैज्ञानिक कारण यह भी है कि अगर भीड़ के साथ चलना जारी रहता है, तो घाटा खाने और अल्पकालिक खराब प्रदर्शन का जोखिम बना रहता है। पिछले कुछ सालों में भारतीय बाजारों में जोरदार तेजी देखी गई, जोकि मिड-स्मॉल कैप सूचकांकों के प्रदर्शन में झलकती है। दूसरी ओर, उथल-पुथल भरे माहौल में अपने निवेश को स्थिर रखने वाले लार्ज कैप अभी भी मध्यम रिटर्न के साथ किनारे पर आराम कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें : होम लोन लेते समय रखें इन बातों का ख्याल, बचा सकते हैं अपने पैसे

बाजार और लार्ज कैप के बीच प्रदर्शन में भारी अंतर

बंधन एएमसी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट सुमित अग्रवाल का कहना है कि व्यापक बाजार और लार्ज कैप के बीच प्रदर्शन में भारी अंतर के कारण मूल्यांकन प्रीमियम में व्यापक अंतर आया है। मिडकैप आज लार्ज कैप के मुकाबले लगभग उच्चतम प्रीमियम पर कारोबार कर रहे हैं। स्मॉल-कैप इंडेक्स के साथ भी यही स्थिति है। इसके अलावा, अपने स्वयं के इतिहास की तुलना में निफ्टी 12 महीने के फॉरवर्ड पी/ई आधार पर लॉन्गटर्म औसत से लगभग 16 फीसदी अधिक पर कारोबार कर रहा है। हालांकि, मिडकैप लगभग 53 प्रीमियम और स्मॉल कैप लगभग 39 प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है। म्यूचुअल फंड स्पेस में, हमने मजबूत प्रवाह देखा है, जो ज्यादातर मिड और स्मॉल स्पेस की ओर निर्देशित है। इस दौरान बाजार में लार्ज कैप में शायद ही कोई प्रवाह देखा गया है, क्योंकि ट्रेलिंग रिटर्न डिफरेंशियल हालांकि स्वस्थ है, फिर भी हाल के दिनों में व्यापक बाजार की तुलना में कम है।

यह भी पढ़ें : फूड डिलिवरी में लापरवाही पर लिया जा सकता है हर्जाना

मार्जिन की चिंता के कारण वित्तीय क्षेत्र का स्वभाव नरम

लार्ज-कैप सेगमेंट का एक बड़ा हिस्सा कुछ मैक्रो-लेड ड्राइवरों के कारण दबाव में रहा है, जिसके कारण पिछले कुछ वर्षों में इसका प्रदर्शन थोड़ा कमजोर रहा है। अर्थव्यवस्था में ब्याज दरें बढ़ने से कम मार्जिन की चिंता के कारण बैंकिंग के प्रभुत्व वाला वित्तीय क्षेत्र अपने स्वभाव से बहुत नरम है। अग्रवाल ने कहा कि अगले एक साल में दरें कम होंगी, जिसका इसका वित्तीय क्षेत्र के शुद्ध ब्याज मार्जिन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। देश में कम दरें और निरंतर राजनीतिक स्थिरता, ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर बढ़ते फोकस का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और यह उपभोग क्षेत्र के लिए समर्थन के रूप में कार्य करेगा। निवेशकों की स्थिति भी काफी आरामदायक बनी हुई है क्योंकि घरेलू और विदेशी संस्थागत निवेशकों दोनों की ओर से बड़े पैमाने पर निवेश ने इस क्षेत्र को कुछ समय के लिए नजर अंदाज कर दिया है। इसके मुकाबले निवेश के दृष्टिकोण से अच्छे पुराने बड़े कैप आशाजनक दिखते हैं।