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आपको क्या मिलेगा?
जब आप वीआरएस का विकल्प चुनते हैं तो आपको क्या मिलता है? अगर हम एसबीआई को उदाहरण मानकर चलें तो वीआरएस भुगतान नौकरी की शेष अवधि के लिए वेतन के 50 फीसदी के बराबर दिया जाता है। जो पिछले 18 महीनों में आपको वेतन मिल रहा है। यदि आपके पास पांच साल की सेवा बची हुई है तो और आपको महीने में 1 लाख रुपए वेतन मिलता है तो पांच सालों की बची हुई सेवा के लिए आपको 30 लाख रुपया दिया जाएगा। वीआरएस मुआवजे के साथ ग्रेच्युटी, पेंशन और भविष्य निधि जैसे लाभों का भी भुगतान होता है। कुछ कंपनियों के पास रिटायरमेंट के बाद का मेडिकल कवर होता है, जो आपके वीआरएस का विकल्प चुनने के बाद भी लागू होता है। एसबीआई में, रिटायरमेंट के समय इनकम स्लैब और पोस्ट के आधार पर पेंशन तय की जाती है। बड़े कर्मचारियों को वीआरएस की पेशकश की जाती है, इसलिए, आमतौर पर रिटायरमेंट तक पोस्ट सेम ही रहती है। हालांकि, प्रत्येक कंपनी की रिटायरमेंट पॉलिसी भिन्न हो सकती है। ऐसे में शर्तों को जांच लेना काफी जरूरी है।
मूल्यांकन करना जरूरी
जानकारों के अनुसार वीआरएस लेने से मूल्यांकन करना काफी जरूरी है कि प्रोपर रिटायरमेंट में मिलने वाले बेनिफिट और कमाई वीआरएस के दौरान मिलने वाले भुगताान में। जानकारों की मानें तो इस बात का गणित करना काफी अहम है कि शेष सर्विस में आपको कितने इंक्रीमेंट मिलेंगे और बोनस से मिलने वाला कितना रुपया होगा। उसके बाद उसकी तुलता वीआरएस भुगतान से कंपेयर करें। एसबीआई को उदाहरण के तौर पर देखें तो मान लेते हैं कि 50 साल का कर्मचारी जिसे एसबीआई में 25 साल काम करते हो चुके हैं। वो अभी और 10 साल कमाने के लिए एलिजिबल है। अगर वीआरएस को अपना लेता है उसे 18 महीने की सैलरी के आधार प अगले 10 सालों का भुगतान हो जाएगा। ऐसे में यह योजना उन लोगों के लिए ठीक नहीं है जिनके पास 3 साल से ज्यादा नौकरी बची हुई है।
टैक्स का भी रखें ध्यान
वीआरएस प्लानिंग के दौरान उससे होने वाले लाभ का तो मूल्यांकन कर लेते हैं, लेकिन उस पर लगने वाले टैक्स के बारे में नहीं सोचते हैं। ऐसे में टैक्स को लेकर भी अपने दिमाग में पूरा कैल्कुलेशन करना काफी जरूरी है। आयकर अधिनियम की धारा 10 (10 सी) के अनुसार, वीआरएस के तहत मिलने वाले किसी भी मुआवजे पर 5 लाख रुपए तक के टैक्स छूट है। वहीं 5 लाख से ज्यादा की राशि पर टैक्स लगाया जाता है। ध्यान रखने की बात यह है कि छूट केवल उस असेसमेंट ईयर में मिलती है जिस साल आपको भुगतान होता है।
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अपने फ्यूचर को करें प्लान
मौजूदा समय में संभावित आयु में इजाफा देखने को मिल रहा है, ऐसे में अगर आप लांग टर्म प्लानिंग नहीं कर रहे हैं तो आपके लिए इनकम कम होना या बंद होना जैसी समस्या खड़ी हो सकती है। यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि वीआरएस के बाद के बाद आपका रिटायरमेंट पीरियड बढ़ जाएगा, जिसे पूरा करने के लिए एक्सट्रा कैपिटल की जरुरत होगी। जानकारों की मानें तो इसका सबसे अच्छा विकल्प वीआरएस लेने के बाद रोजगार की तलाश करना है। कई मामलों में वित्तीय संकट या आगे की विकास कठिनाइयों का सामना करने वाली कंपनियां ऐसी वीआरएस योजनाए लेकर आती हैं। ऐसे में, वीआरएस का चयन करना और बेहतर अवसरों की तलाश करना समझ में आता है। लेकिन कई केसों में, वीआरएस ऐसी शर्तों के साथ आता है जैसे कर्मचारी कंपनी की किसी दूसरी सब्सिडियरी कंपनी या एक ही मैनेज्मेंट या प्रमोटर की दूसरी कंपनी में नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकता है। एक अन्य विकल्प आपके द्वारा प्राप्त किए गए धन का उपयोग करके अपना उद्यम शुरू करना है। जिसके तहत आप वीआरएस फंड के हिस्से का इस्तेमाल सीड कैपिटल के रूप में कर सकते हैं।
इमरजेंसी फंड जरूर तैयार करें
वीआरएस के दौरान के मिले रुपयों से आपको एक इमरजेंसी फंड जरूर बनाना चाहिए जो आपके 12 महीनों का खर्च पूरी तरह से वहन कर सके, जो कि ईएमआई, बीमा प्रीमियम और बच्चों की स्कूल फीस सहित के बराबर हो। वास्तव में मंदी के दौर और कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण कमाई के रास्ते बंद हो रहे हैं। ऐसे में कदम-कमद पर रुपयों की जरुरत होना लाजिमी है। जानकारों के अनुसार वीआरएस के बाद जिन लोगों के पास काफी लंबा समय है वो अपने रुपयों के एक हिस्सों नए कौशल सीखने में कर सकते हैं। कुछ हिस्सा महंगे कर्ज को चुकाने में भी खर्च किया जा सकता है। बाकी बची हुई रकम को लांग टर्म निवेश योजनाओं में लगा सकते हैं। वहीं जिन्होंने अपने रिटायरमेंट के कुछ महीनों पहले वीआरएस लिया है तो उन्हें वीआएस रकम का कुछ हिस्सा शेयरों में डालना चाहिए। इससे कमाई बढ़ेगी और महंगाई से निपटने में भी मदद मिलेगी। शेष रकम विभिन्न डेट योजनाओं में निवेश की जानी चाहिए ताकि मासिक खर्चों के लिए नियमित आय मिलती रहे।