
Banshiwala temple kept shining in the light of lamps on Dev Diwali
-देव दीपावली पर शाम को पांच बजे से ही मंदिर परिसर में पहुंचने लगे श्रद्धालु, शहर के अन्य मंदिरों में दीयों की रोशनी में हुआ भगवान का अर्चन
नागौर. शहर के मंदिरों में सोमवार को देव दीपावली का पर्व हर्षोल्लाषपूर्वक मनाया गया। विशेषकर शहर के नगरसेठ बंशीवाला मंदिर देव दीपावली पर जले दीपकों की रोशनी में जगमग करता नजर आया। पूरे मंदिर में कई जगहों पर श्रद्धालुओं ने दीपक जलाकर इनको विभिन्न रूपों में सजाया। इससे पूरा मंदिर परिसर दीपक की रोशनी में बदले हुए रंग में नजर आया। इस दौरान मंदिर में श्रद्धालुओं के भजन, कीर्तन से माहौल भक्ति के रंग में रंगा रहा।
देव दीपावली पर बंशीवाला मंदिर दीपकों की रोशनी में चमकता रहा। श्रद्धालु शाम को पांच बजे से मंदिर में पहुंचने लगे। शाम को सात से आठ बजे तक मंदिर परिसर में इसके सभी हिस्सों पर दीपक जलता नजर आया। महिलाओं ने बंशीवाला के गर्भगृह के निकट स्थित इसके पूरे किनारों पर दीपक जलाए। विभिन्न आकारों एवं प्रकारों में सजे दीपक की रोशनी में गूंज रहे भजनों से बंशीवाला मंदिर विहंगम दृश्य बना रहा। गर्भृह से निकलने के साथ ही खुले आंगन में चारों ओर किनारों पर जलते दीयों की रोशनी में श्रद्धालु बंशीवाला का अर्चन करने में लगे रहे। रात्रि में करीब आठ बजे से लेकर नौ बजे के दौरान मंदिर परिसर में चारो ओर जलते दीयों की रोशनी में देव दीपावली का पर्व मनाते हुए श्रद्धालु बेहद उत्साहित रहे। इस मौके पर बंशीवाला को भी विशेष तौर विविध रंगीय फूलों के साथ बांसुरी सहित सजाया गया। बंशीवाला का यह विहंगम रूप श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना रहा। बंशीवाला के सामने स्थित दक्षिणामुखी हनुमान मंदिर में भी देव दीपावली मनाई गई। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर दीपक की रोशनी से सजाया गया। श्रद्धालुओं में महावीर हनुमान के समक्ष दीपक जलाने की होड़ लगी नजर आई। इस दौरान मंदिर में श्रद्धालु हनुमान चालीसा का पाठ भी करते नजर आए। इसी तरह शहर के अन्य मंदिरों में भी देव दीपावली मनाई गई। मंदिर परिसर में दीपक लगभग पूरी रात जलते रोशनी में चमकते नजर आए। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव ने असुरराज त्रिपुरासुर का वध करके देवों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। इस वजह से देवी और देवताओं ने शिव की नगरी काशी में गंगा के तट पर स्नान कर दीप जलाकर भगवान शिव की पूजा की। उस दिन देवों की दीपावली थी। यह कार्तिक पूर्णिमा को प्रदोष काल में मनाई गई। तभी से से हर साल कार्तिक पूर्णिमा को काशी नगरी में गंगा के घाटों पर देव दीपावली मनाए जाने का चलन शुरू हो गया। बताते हैं कि देव दीपावली पर दीपक जलाने से इससे भगवान शिव की प्रसन्नता प्राप्त होने पर कामनाएं पूर्ण होती है।
नागौर. देव दीपावली पर सोमवार को इस तरह से दीपक से इस तरह सजता रहा बंशीवाला
Published on:
27 Nov 2023 09:24 pm
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