नागौरPublished: Jul 29, 2021 09:38:29 pm
Sharad Shukla
Nagaur. केशवदास बगीची में भागवत कथा प्रवचन में समझाई भक्ति की विशेषता
Nagaur. Discourse on Bhagwat in the story of Chaturmas at Ramdwara Keshavdas Maharaj Bagichi Bakhtasagar
नागौर. रामद्वारा केशवदास महाराज बगीची बख्तासागर में चातुर्मास की कथा में भागवत पर प्रवचन करते हुए मंहत जानकीदास ने कहा कि भगवान के नाम अलौकिक शक्ति है। ग्रंथों में ऐसा लिखा है कि ब्रह्म ज्ञानी संतो को भी प्रारब्ध भोगना पड़ता है प्रारब्ध का नाश ब्रह्म ज्ञान से भी नहीं होता है। ज्ञानी संतो के जीवन में सुख दुख ,मान अपमान के प्रसंग आते हैं, परंतु के मन को शांत रखते हैं। प्रारब्ध बहुत बलवान होता है। भगवान नाम के जाप से प्रारब्ध का नाश होता है। साधारण भक्ति से प्रारब्ध का नाश नहीं होता है। भगवान का नाम समर्पित भाव से लेना पड़ता। सर्वकाल भक्ति करने वाले का प्रारब्ध नाश होता है। कोई भी सत्कर्म नियम से बारह वर्ष तक बराबर होने पर उसकी शक्ति बढ़ जाती है। वह सिद्ध हो जाता है। जीवन में कैसा भी सुख-दुख का प्रसंग आए, लेकिन भक्ति छोडऩा नहीं चाहिए। सुख-दुख में मानव भोजन नहीं छोड़ता है तो फिर भगवान की भक्ति को भी नहीं छोडऩी चाहिए। सुख-दुख बादल के समान है। भागवत कथा में प्रसंग आता है कि जो वैष्णव भगवान को याद करते हुए सो जाता है तो रात्रि भर भक्ति करने भक्ति करने का फल होता है। भगवान के स्वभाव को जानने वाला भगवान को एक क्षण भी नहीं छोड़ सकता। भक्ति से ही मरण सुधरता है। अंतकाल सुधारने के लिए ही पूरे जीवन में भगवान की भक्ति पूजा पाठ की जाती है। ताकि उसका अंत सुधर जाए। इस दौरान संत मि_ूराम ,संत मांग दास, संत कल्याण दास ,संत लक्षआनंद, मोडाराम ढाका, भंवरूराम ढाका, किशोरराम माझू ,भंवरुदास वैष्णव, सत्यनारायण माहेश्वरी आदि मौजूद थे।