22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

गोबर खाद से कई गुना बढ़ी फसल की पैदावार

—गहरी जुताई से होता खरपतवारों का नाश—रासायनिक खाद से मिट्टी में जिंक-सल्फर की कमी नागौर जिले में चौसला क्षेत्र के किसानों ने गोबर खाद, कंपोस्ट व हरी खाद का उपयोग कर गेहूं-जौ की अच्छी उपज ली है। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढऩे के साथ पैदावार कई गुना बढ़ गई है।

2 min read
Google source verification

नागौर

image

VIKAS MATHUR

Apr 22, 2023

गोबर खाद से कई गुना बढ़ी फसल की पैदावार

गोबर खाद से कई गुना बढ़ी फसल की पैदावार

खरीफ फसलों के लिए भी गोबर खाद
रबी फ सल समेटने के बाद किसानों ने खरीफ के लिए खेतों को तैयार करना शुरू कर दिया है। फ सलों में लगातार कीट व्याधियां होने और पैदावार कम होने से चिंतित किसान अब पारंपरिक गोबर खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं। चौसला, कुणी, त्योदा, लोहराणा, डाबसी, पिपराली, लाखनपुरा, भाटीपुरा, खतवाड़ी, गोविन्दी सहित कई गांव व ढाणियों के सैकड़ों किसानों ने प्राकृतिक खाद से फ सल की पैदावार बढ़ाने की तैयारी कर ली है। रासयानिक खाद से खेतों में साल दर साल पोषक तत्वों जिंक व सल्फर की कमी होती जा रही है।

उच्च स्तर की उर्वरता
किसान डालूराम कुलहरी ने बताया कि मवेशियों को चराने के बाद रात के समय बाड़े में बांध देते हैं। सुबह गोबर एक स्थान पर एकत्रित करके इसे सूखने के बाद खाद के रूप में खेतों में बिखेर देते हैं। जैविक खाद का समन्वय कर रासायनिक उर्वरकों को कम किया जा सकता है। इससे उर्वरता उच्च स्तर पर बनी रहती है।

गर्मी में गहरी जुताई कर लें अच्छी पैदावार
खाद के साथ खरीफ फ सलों में गहरी जुताई करने से निचली परत की मिटटी के साथ खरपतवारों के बीज, रोगों के कीटाणु ऊपर आ जाते हैं, जो सूरज की ताप से मर जाते है। साथ ही मृदा में वर्षाजल का अवशोषण बढ़ जाता है। इसलिए रबी की कटाई के बाद खेतों की गहरी जुताई कर लें ।
किसानों ने खरीदी सैंकड़ों ट्रोली : किसानों ने खरीफ फ सल में अच्छा उत्पादन लेने के लिए चार से पांच हजार ट्रोली गोबर खाद खरीदी है। घर के पशुओं के अलावा पास की गोशाला से गोबर खाद खरीद कर डाल रहे हैं।

इनका कहना है....
जैविक खाद से पीएच संतुलित रहती है, इसमें लागत कम और मुनाफ ा ज्यादा होता है। किसानों को रबी फ सल समेटने के बाद खेतों में गहरी जुताई करना चाहिए। ताकि खेतों में नमी संरक्षित रहे।
भंवरलाल शर्मा, सेवानिवृत्त सहायक निदेशक कृषि विस्तार, कुचामन

मोतीराम प्रजापत — चौसला