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नाम की ‘बादशाहत’ तो मिली पर कंगाली दूर नहीं हुई

प्रारम्भिक शिक्षा में जिले के 459 उत्कृष्ट विद्यालयों में से 201 में खेल मैदान तक नहीं तो 392स्कूलों में कम्प्यूटर लैब नहीं

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देवेन्द्र प्रताप सिंह/ नागौर. सरकारी विद्यालयों का शैक्षिक स्तर ऊंचा उठाने व सुविधा मुहैया करवाने के लिए चलाई जा रही ‘उत्कृष्ट विद्यालय’ योजना धरातल पर फ्लॉप साबित हो रही है। जिले में 2225 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में से दो चरणों में 459 विद्यालयों को उत्कृष्ट विद्यालय योजना में शामिल किया गया है, लेकिन हालात यह हैं कि जिन उत्कृष्ट विद्यालयों में सुविधाओं के ढोल पीटे जा रहे हैं उनकी सच्चाई कुछ और ही है। इन स्कूलों में से मात्र 64 विद्यालय ऐसे हैं जो उत्कृष्ट विद्यालय के मानकों को पूरा कर रहे हैं, शेष 395 विद्यालय किसी ने किसी प्रकार की तंगी से ग्रस्त हैं। यहां एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि जब उत्कृष्ट की यह दशा है तो सामान्य विद्यालयों के हालात कैसे होंगे।

यह सुविधा होनी चाहिए

शिक्षा विभाग का प्रत्येक ग्राम पंचायत पर एक उत्कृष्ट विद्यालय बनाने को उद्देश्य था, ताकि स्कूल में गुणवत्ता युक्त शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को सभी तरह की सुविधाएं मुहैया करवाई जाएं। इन विद्यालयों में बच्चों के लिए खेल मैदान, नामांकन के आधार पर शौचालय, बैठने के लिए पर्याप्त कक्षा-कक्ष, ई-लर्निंग के लिए कम्प्यूटर लैब, विद्यालय की चारदीवारी, बैठने के लिए पर्याप्त फर्नीचर, चाइल्ड फ्रेंडली कक्ष बनाने सहित बच्चों के लिए पुस्तकालय बनाया जाना था। अधिकतर स्कूलों में इन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है।

कैसे निखरे खेल प्रतिभा

राज्य सरकार द्वारा खेल प्रतिभा को निखारने की मंशा उसके ही स्कूल पूरी नहीं कर पा रहे हैं। हालात यह हैं कि इन विद्यालयों में अच्छे खिलाड़ी तैयार करने के लिए खेल मैदान तक नहीं है। सूत्रों का कहना है कि उत्कृष्ट विद्यालयों में विकसित खेल मैदान तो दूर की बात है 201 विद्यालयों में तो खेल मैदान तक नहीं है। इसके चलते कई विद्यार्थी खेतों व सडक़ों पर अभ्यास कर प्रतियोगिताओं में भाग लेने को मजबूर हैं या फिर ये प्रतियोगिताओं में हिस्सा ही नहीं ले पाते हैं।

ई-लर्निंग के सपने पर जमी धूल

जिले के सभी उत्कृष्ट विद्यालयों में विद्यार्थियों को ई-लर्निंग की सुविधा मुहैया करवाने के लिए कम्प्यूटर लैब स्थापित की जानी थी। यहां भी बदहाली का आलम है। जिले में 459 उत्कृष्ट विद्यालयों में से मात्र 67 विद्यालयों में ही कम्प्यूटर लैब बताई जा रही है, जबकि 392 स्कूलों में आज भी कम्प्यूटर लैब की दरकार है। इसके अलावा विद्यालयों में बच्चों को शांत माहौल व सुरक्षा देने के लिहाज से चारदीवारी जरूरी है। लेकिन इन विद्यालयों में अभी भी 64 विद्यालयों में चारदीवारी नहीं बनाई गई है। इसी प्रकार 23 विद्यालय ऐसे हैं जिनमें विद्युत कनेक्शन नहीं हो पाया है।

प्रयास जारी हैं
उत्कृष्ट विद्यालयों का विकास करने को लेकर लगातार प्रयास जारी हैं। इसके लिए कुछेक स्कूलों में सभी सुविधाएं मुहैया करवाई भी गई हैं। जल्द ही अन्य स्कूलों में भी सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।
रजिया सुल्ताना, डीईओ, प्रारम्भिक शिक्षा, नागौर