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किसानों के खुशखबरी: नागौर पहुंचा एक एक हजार टन जिप्सम

locationनागौरPublished: Jul 29, 2021 09:15:09 pm

Submitted by:

Sharad Shukla

Nagaur. किसान भूमि सुधार के लिए कृषि विभाग से अनुदानित जिप्सम का उपयोग करें – बेड़ा

 One thousand tonnes of gypsum reached Nagaur

One thousand tonnes of gypsum reached Nagaur

नागौर. काश्तकारों के लिए खुशखबरी है। जिले में जिप्सम की आपूर्ति हो गई है। राजस्थान राज्य माईन्स एण्ड मिनरल्स लिमिटेड की ओर से करीब एक हजार टन जिप्सम फिलहाल जिले में पहुंच गया है। इसके लिए काश्तकार कृषि विभाग के स्थानीय कार्यालय अथवा संबंधित सहायक कृषि अधिकारी व कृषि पर्यवेक्षक को इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। इस संबंध में कृषि विभाग की ओर से काश्तकारों को इसकी जानकारी दिए जाने के साथ ही फसलों में जिप्सम की महत्ता बताए जाने का काम भी ग्राम पंचायतवार शुरू कर दिया गया है। काश्तकारों को इसकी आपूर्ति अनुदानित दर पर की जाएगी। इसमें काश्तकारों को ५० प्रतिशत अनुदान पर इसकी उपलब्धतता कराई जा रही है। प्रति बैग किसानों को यह लगभग ७० रुपए में देय रहेगी।
इसलिए जिप्सम का प्रयोग आवश्यक है
कृषि विस्तार उपनिदेशक शंकरराम बेड़ ने बताया कि किसानों को बताया जा रहा है कि जिस मिट्टी का पी.एच. मान 8.5 से अधिक विनियमशील सोडियम की मात्रा 15 प्रतिशत से अधिक होती है। वह मृदा क्षारीयता की समस्या से ग्रसित होती है इस प्रकार की मृदा सुखने पर कठोर होने साथ ही इसमें दरारे पड़ जाती है। क्षारीय मिट्टी में पौधो के समस्त पोषक तत्वो की उपस्थिती के बावजुद मृदा से अच्छी उपज प्राप्त नही होती है। जिप्सम के उपयोग से मिट्टी मे घुलनसिल केल्सियम की मात्रा बढ़ती है। जो क्षारीय गुण के लिए जिम्मेदार अधिशोधित सोडियम को घोलकर और मृदा कण से हटाकर अपना स्थान बना लेता है। परिणामस्वरूप भुमि का पीएच मान कम कर देता है। क्षारीय भूमि सुधार के लिए इन मृदाओं का मृदा परीक्षण के आधार पर सिफारिश की गई जिप्सम आवश्यकता से आधी मात्रा मई-जून माह में खेत में समान रूप से बिखेर कर जुताई करके अच्छी तरह से 10 से 15 सेन्टीमीटर मिट्टी की ऊपरी सतह में मिला देना चाहिए,। खेत में डोलिया बनाकर बडी-बडी क्यारीया बना देनी चाहिए ताकि वर्षा का पानी बहकर खेत से बाहर नही जा सके। तिलहन फसले जैसे-ंउचय मूंगफली, तिल, सोयाबीन, सरसों, तारामीरा आदि में जिप्सम के उपयोग से इनके दानों में तेल की मात्रा बढ़ती है। दलहनी फसलों में जिप्सम के उपयोग से प्रोटीन की मात्रा में वृद्धि होती है, जिससे इनके दाने सुडोल बनते है और पैदावार बढ़़ती है। ये पौधों की जड़ों में स्तर राईजोबियम जीवाणुओं की क्रियाशीलता को बढ़ाती है, जिससे फसलें वातावरण में उपस्थित स्वतंत्र नाईट्रोजन का अधिक से अधिक उपयोग करती है। खाद्यान फसलों में जिप्सम का उपयोग से पौधे बढ़वार अच्छी करते है। साथ ही खाद्यान सहित सभी फसलों की उपज में बढ़ोतरी होती है।

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