
If you can't even get bread with the money given by the state government, then how will you have good food...!
एक माह में तीन लाख से ज्यादा कर रहे भोजन
जिले में संचालित इंदिरा रसोई के तहत लाभान्वित होने वालों का आंकड़ा एक माह में तीन लाख से ज्यादा का रहता है। विगत एक माह के दौरान तीन लाख 17 हजार 200 जरूरतमंदों ने भोजन किया। इसमें जरूरतमंदों को भोजन कराने में नागौर पहले नंबर पर रहा है। पिछले एक माह में नागौर में संचालित इस रसोई में 68 हजार 400 जरूरतमंद भोजन कर चुके हैं। जबकि अन्य रसोईयों में भोजन करने वाले जरूरमंदों की संख्या इसकी आधी भी नहीं रही है।
कहां, कितने जरूरतमंद हुए लाभान्वित
बासनी-7600
डेगाना-15200
जायल-7600
कुचेरा-14800
मेड़तासिटी-15000
मूण्डवा-15200
नागौर-68400
क्या कहते हैं लाभान्वित...
भोजन तो आठ रुपए में मिल जाता है, लेकिन इसमें दही, छाछ एवं सलाद आदि भी सरकार सम्मिलित कर दे तो फिर यह बेहतर हो जाएगा। पांच रोटी एवं दाल, सब्जी तो औसत भोजन है। इसे और बेहतर करना चाहिए। पहले अन्नपूर्णा रसोई में इससे ज्यादा भोजन मिलता था। उससे खाने वाले की भूख मिट जाती थी। राज्य सरकार को इस भोजन को बेहतर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
ओमप्रकाश तालणिया
जब सरकार भोजन केवल आठ रुपए में उपलब्ध करा रही तो फिर और ज्यादा बेहतर भोजन उपलब्ध कराना चाहिए। इसमें मिलने वाला भोजन पूरी तरह से पर्याप्त भोजन नहीं कहा जा सकता है। केवल पांच रोटी मिलती है। अन्नपूर्णा रसोई योजना में तो चावल का नमकीन खीचड़ा, कढ़ी-ढ़ोकली, ज्वार का नमकीन खीचड़ा, गेहूं का मीठा खीचड़ा आदि भी मिलता था। अब यह सरकार आई है। यह भी भोजन तो दे रही है, लेकिन बहुत बेहतर नहीं है यह।
अमित मीणा
सरकार बढ़ाए सब्सिडी
जिले में कुचामन, मकराना, डीडवाना, मेड़ता एवं जायल आदि क्षेत्रों में इंदिरा रसोई योजना संचालकों एवं लाभान्वितों से बातचीत हुई तो इनका कहना था कि योजना की सब्सिडी बढऩी चाहिए। लाभान्वितों में प्रभुराम, शंकरलाल, संजय रावत, रामप्रकाश कुमावत आदि का कहना है कि राज्य सरकार इंदिरा रसोई संचालकों को महज 17 रुपए की सब्सिडी दे रही है। यानि की इसकी कुल लागत 25 रुपए मानी गई है। इस राशि में तो अच्छे होटल में रोटी तक नहीं मिलती है, फिर सरकार कैसे सोच सकती है कि महज 25 रुपए में अच्छा भोजन मिल जाएगा। राज्य सरकार को सब्सिडी की राशि 50-60 रुपए कर देनी चाहिए। इससे भोजन भी अच्छा मिलेगा। अन्नपूर्णा रसोई योजना में भोजन के पैकेड बनकर आते थे, इसलिए खराब हो जाते थे। अन्नपूर्णा रसोई योजना की तर्ज पर भी इसका संचालन हो तो बेहतर भोजन की उम्मीद की जा सकती है।
Published on:
20 Sept 2023 10:20 pm
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