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लीलण एक्सप्रेस: जिसे नागौर से मिली पहचान, उसी को भूला दिया

लोकदेवता वीर तेजाजी की घोड़ी लीलण के नाम पर चल रही है यह ट्रेन, रूट परिवर्तित करने के आदेश से अब इसे नागौर से अलग करने का अंदेशा

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लीलण एक्सप्रेस: जिसे नागौर से मिली पहचान, उसी को भूला दिया

लीलण एक्सप्रेस: जिसे नागौर से मिली पहचान, उसी को भूला दिया

नागौर. इस रेल को जो नाम मिला है उसी से पता चला जाता है कि इसका जुड़ाव किस जिले से है। सालों से चल रही इस ट्रेन को यह नाम पांच साल पहले ही मिला है। इससे पहले यह जयपुर-जैसलमेर इंटरसिटी एक्सप्रेस के नाम से चल रही थी, लेकिन नागौर से जुड़ाव को देखते हुए इसका नाम बदल दिया गया। तत्कालीन सांसद के प्रयासों से इस ट्रेन को जब स्थानीय नाम मिला तो लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई, लेकिन अब यह ट्रेन नागौर से दूर हो रही है। जी हां, हम बात कर रहे है लीलण एक्सप्रेस की। लोकदेवता तेजाजी महाराज की घोड़ी का नाम लीलण था और इसी आधार पर इस रेल को भी यह नाम मिला है। अधिकतर लोग इसे इंटरसिटी के बजाय लीलण के नाम से ही जानते हैं, लेकिन जिस नागौर ने इसे पहचान दी है वहीं से यह अब अलग की जा रही है। लीलण एक्सप्रेस का रूट बदलने के आदेश जारी हो चुके है और इसके तहत इस ट्रेन अब नागौर में नजर नहीं आएगी।

झलकता है नागौर से जुड़ाव
नागौर से ज्यादा जुड़ाव के कारण वर्ष-2015 में इस ट्रेन को लीलण नाम दिया गया था। तत्कालीन केंद्रीय राज्यमंत्री सीआर चौधरी के प्रयासों से इसे यह नाम मिला था। नागौर के बाशिंदों को जोडऩे के लिहाज से यह अच्छा फैसला था, लेकिन अब यह ट्रेन ही यहां से विलग हो जाएगी। ऐसे में न तो यह ट्रेन नागौर की पटरियों पर दौड़ेगी और न ही लोगों का जुड़ाव बना रहेगा।

कब फलीभूत होंगे प्रयास
वैसे केंद्र में अब भी वहीं सरकार काबिज है, जो उस समय थी, लेकिन इस ट्रेन को नागौर से अलग करने के प्रयास हो चुके हैं। हालांकि इस मामले में स्थानीय सांसद और अन्य संगठन भी प्रयासरत है, लेकिन लीलण को पूर्ववत रूट पर ही चलाए रखने के आदेश कब आएंगे यह कहना मुश्किल है।

यात्रियों की मुश्किल बढ़ेगी, राजस्व भी टूटेगा
प्रबुद्ध लोगों ने बताया कि लोगों को सुविधा देने रही इस टे्रन से रेल विभाग को भरपूर राजस्व भी मिल रहा है, लेकिन इस पर ही प्रयोग किया जा रहा है। दूसरे रूट पर ट्रायल बेस पर ट्रेन चलानी है तो कोई दूसरी रेल भी चलाई जा सकती है। जमी-जमाई रेल का रूट परिवर्तित करने से यात्रियों की मुश्किल तो बढ़ेगी ही राजस्व भी टूटेगा। लोग बताते हैं कि इस ट्रेन को नागौर से होते हुए पूर्ववत रूट से ही चलाने की दरकार है।

खत्म कर दिया सस्ता व बेहतर साधन
जिला किसान खेत एवं मजदूर कांग्रेस के शहर ब्लॉक अध्यक्ष विमल सोनी ने इस सम्बंध में रेलवे बोर्ड चेयरमैन को पत्र भेजा है। इसमें बताया कि लीलण का रूट परिवर्तित करने से नागौर-जयपुर के सस्ते व बेहतर साधन को खत्म करने का काम किया है। हजारों लोगों को अब आवागमन के लिए भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। नागौर-जयपुर के बीच रेल सेवा से जुड़े कई गांवों का सम्पर्क टूट जाएगा एवं रेलवे को मिलने वाली आय भी बंद हो जाएगी। लोगों को बसों से या अन्य साधनों से आवागमन करना पड़ेगा, जो महंगा साबित होगा। लीलण एक्सप्रेस का रूट नागौर-जयपुर के लिए यथावत रखे जाने की मांग की है।