
Nagaur. Shravak listening to discourses in Jaimal Jain Nursery
नागौर. आचार्य जयमल जैन मार्ग स्थित जयमल जैन पौषधशाला में मंगलवार को साध्वी बिंदुप्रभा ने प्रवचन में कहा कि आहार ही जीवन का प्राण होता है। बिना आहार के व्यक्ति लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता। इसलिए जीने के लिए खाना जरूरी है। खाने के लिए ही जीना नहीं चाहिए। मनुष्य और पशु के जीवन में यही अंतर है। पशु अपना सारा जीवन खाने-पीने और सोने में ही व्यतीत कर देता है। जबकि मनुष्य दिन-रात खाने-पीने में न बिताकर मर्यादित एवं सीमित आहार करता है। मर्यादित एवं सीमित आहार ही स्वास्थ्य के लिए हितकर होता है। मनुष्य के आहार प्रक्रिया में विवेक जुड़ा रहता है। हर व्यक्ति को इसका ध्यान रखना चाहिए । स्वाद लेकर भोजन करने से तीव्र पाप कर्मों का बंध होता है। जबकि बिना स्वाद लिए ग्रहण करने पर व्यक्ति खाते पीते हुए भी उपवासी बन सकता है। सात्विक भोजन करने वाले व्यक्ति की आरोग्यता भी बनी रहती है। विचारों में भी निर्मलता रहती है। प्रवचन की प्रभावना किशोरचंद, पवन, अरिहंत पारख की ओर से वितरित की गयीं। प्रवचन प्रश्नों के उत्तर रीता ललवानी, जागृति चौरडिय़ा, रसीला सुराणा एवं शारदा ललवानी ने दिए। विजेताओं को सूरजदेवी, मदनलाल सुराणा की ओर से पुरस्कृत किया गया। जय-जाप की प्रभावना कनकमल खजांची की ओर से वितरित की गयीं। आगंतुकों के भोजन का लाभ नरपतचंद, प्रमोद ललवानी ने लिया। इस मौके पर ज्ञानचंद माली, भीखमचंद ललवानी, पार्षद दीपक सैनी, दिलीप पींचा आदि मौजूद थे।
Published on:
24 Aug 2021 09:55 pm
बड़ी खबरें
View Allनागौर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
