
Now ask the children whether Guruji gave or not ...
नागौर. राज्य स्तर पर जयपुर के अमरूदों का बाग में शिक्षक सम्मान समारोह को लेकर तैयारियों के बीच ‘भूचाल’ आया हुआ है। इस पूरे कार्यक्रम में व्यय होने वाली राशि के साथ ही शिक्षकों में विभेद किए जाने की नीति को लेकर भी सवालिया निशान उठने लगे हैं। इसको लेकर शिक्षकों के तेवर भी तीखे हो गए हैं। शिक्षकों का मानना है कि प्रदेश सरकार अपने कार्यकाल में नियुक्त हुए शिक्षकों को सिर्फ यह बताने के लिए आपको नौकरी दी है, केवल यह बताने के लिए न केवल करोड़ों रुपए बर्बाद करने पर आमादा हो गई है, बल्कि इससे विद्यालयों में शत-प्रतिशत परिणाम लाने वाले शिक्षकों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यही राशि स्कूलों के संसाधनों में व्यय होने की स्थिति में उनकी तस्वीर बदल सकती थी।
जयुपर में शिक्षक दिवस पर सम्मान समारोह की तैयारियों को लेकर जिले के शिक्षाधिकारी जुटे हुए हैं। शिक्षकों को आईडी कार्ड बनाने, उनकी सूची तैयार करने के साथ ही अनिवार्य रूप से उन्हें जाने के लिए पाबंद करने में भी विभाग के अधिकारी से लेकर कर्मी तक नजर आने लगे हैं। विभागीय जानकारों के अनुसार शिक्षा विभाग के अधिकारियों को यह निर्देश मिले हैं कि जिलों से ब्लॉकवार शिक्षकों को बस से जयपुर के अमरूदों का बाग में गंतव्य तक पहुंचाने व वापस लाने के लिए चेताया गया है। यही नहीं, प्रति ब्लॉक बस में शिक्षकों के साथ अलग से दो-दो अध्यापक भी जाएंगे। इन दोनों की देखरेख में शिक्षकों को अपने-अपने ब्लॉकों से जयपुर तक पहुंचना है। इस व्यवस्था को किए जाने के लिए संबंधित नोडलों के प्रभारियों को निर्देश मिल चुके हैं। जिला शिक्षा कार्यालय माध्यमिक में पूरे दिन जिला शिक्षाधिकारी, अतिरिक्त जिला शिक्षाधिकारी, क्लर्क एवं ब्लॉक शिक्षाधिकारी तथा पदेन ग्राम पंचायत शिक्षाधिकारी इसमें लगे रहे। शिक्षाधिकारियों का कहना है कि सभी शिक्षकों को आईडी कार्ड बनवाकर ही जाना है। इसके बिना जाने वाले शिक्षक कार्यक्रम में प्रवेश नहीं कर पाएंगे तो इसका ठीकरा भी संबंधित जिलों के जिला शिक्षाधिकारियों पर ही ही फूटेगा।
क्या साबित करना चाहती है सरकार
शिक्षक दिवस पर पांच सितंबर को होने वाले सम्मान समारोह को लेकर बहस छिड़ गई है। चर्चाओं में वर्ष 2013 के पहले नियुक्त शिक्षक क्या सम्मान के अधिकारी नहीं है, विद्यालयों में अभावों के बाद भी बेहतर परिणाम लाने वाले शिक्षकों का सम्मान नहीं कर, केवल अपने ही कार्यकाल में तैनात हुए शिक्षकों का सम्मान कर सरकार क्या साबित करना चाहती है आदि सरीखे बिंदुओं को लेकर शिक्षकों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। विभागीय जानकारों का कहना है कि इस सम्मान समारोह को लेकर प्रदेश सरकार के इस कदम से शिक्षकों में अब असंतोष के स्वर उभरने लगे हैं। शिक्षकों का मानना है कि केवल अपनी वाहवाही के लिए ही जनता के करोड़ों रुपए की राशि को एक कार्यक्रम के नाम पर व्यय कर जनता के साथ ही नहीं, बल्कि कर्मठ भाव से अध्यापन करने वाले शिक्षकों के साथ भी धोखा है।
जिला एवं ब्लॉक स्तर का कार्यक्रम बदला
जिला एवं ब्लॉक स्तर पर होने वाला शिक्षक दिवस समारोह अब पांच सितंबर की जगह दो अक्टूबर को होगा। विद्यालय स्तर पर शिक्षक दिवस समारोह पूर्ववत ही मनाया जाएगा। इसको लेकर भी शिक्षा विभाग ने दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
इनका कहना
&शिक्षक सम्मान समारोह की तैयारियां तेजी से चल रही है। सभी नोडलों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
ब्रह्माराम चौधरी, जिला शिक्षाधिकारी माध्यमिक प्रथम
&सम्मान का आधार शिक्षकों का विद्यालयों में पढ़ाए गए प्रदर्शन पर होना चाहिए। केवल 2013 से नियुक्त शिक्षकों का सम्मान होना समझ से परे रहा है।
अर्जुन लोमरोड, जिलाध्यक्ष, शिक्षक संघ शेखावत
Published on:
30 Aug 2018 11:34 am
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