पशुपालकों के लिए मंगला बीमा योजना बनी मुसीबत, छह महीने बाद भी नहीं हो पाए पूरे बीमा, पहले पंजीकरण किया, अब वेरिफिकेशन में लग रहा समय, पशु चिकित्सकों की रिपोर्ट का वेरिफिकेशन कर रहे दसवीं पास सर्वेयर
नागौर. मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना, जिसके तहत राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रदेश के 21 लाख पशुओं का बीमा करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन योजना की विसंगतियों व विभागीय अधिकारियों की ढिलाई के चलते वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बावजूद अब तक 7 लाख पशुओं का बीमा नहीं हो पाया है। जबकि वित्तीय वर्ष 2025-26 के तीन महीने बीत गए हैं, ऐसे में पूरी योजना पर ही सवालिया निशान लग रहे हैं। सरकार ने इस योजना के तहत 400 करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा की, जिसमें करोड़ों रुपए निजी एजेंसी को ऐसे कार्य के बदले दिए जा रहे हैं, जो विभाग के कर्मचारी आराम से व बेहतर तरीके से कर सकते थे। यही वजह है कि प्रदेश में जहां पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सकों ने जिन 11 लाख 1423 पशुओं के हैल्थ सर्टिफिकेट जारी कर दिए, उनका सर्वे बेसलाइन सर्वे एजेंसी की ओर से समय पर नहीं किया जा सका है, जिसके चलते तीन लाख से अधिक पशुओं का बीमा अब तक नहीं हो पाया है।
आंकड़ों से जानिए, योजना की हकीकत
यह थी सरकार की बजट घोषणा
21 लाख दुधारू पशुओं का बीमा होगा प्रदेश में
5 लाख गाय
5 लाख भैंस
5 लाख बकरी
5 लाख भेड़
01 लाख ऊंट
इतने पशुओं का हुआ रजिस्ट्रेशन
6,04,431 गायों का
7,41,170 भैंस का
4,87,980 बकरियों का
1,86,658 भेड़ों का और
9,716 ऊंटों को रजिस्ट्रेशन हो पाया
लॉटरी में 16,72,866 पशु चयनित
गाय व भैंस का रजिस्ट्रेशन लक्ष्य से अधिक होने के कारण उनकी लॉटरी निकाली गई, जिसमें गाय-भैंस की संख्या 5-5 लाख से कम कर दी गई, जबकि भेड़, बकरी व ऊंट का रजिस्ट्रेशन लक्ष्य से कम होने के कारण लॉटरी नहीं निकाली गई। ऐसे में लॉटरी के बाद 16,72,866 पशु चयनित किए गए, लेकिन इनमें से हैल्थ सर्टिफिकेट 11 लाख 1423 पशुओं को जारी हो पाए। इनमें भी 25 जून तक मात्र 6 लाख, 67 हजार, 299 पशुओं को बीमा जारी हो पाया। सरकार ने घोषणा की कि यदि लक्ष्य के बराबर पशुओं का बीमा नहीं होगा तो लॉटरी में वंचित रहने वाले पशुओं की प्रतीक्षा सूची निकालकर बीमा किया जाएगा, लेकिन अब तक इस संबंध में कोई दिशा-निर्देश विभागीय अधिकारियों को जारी नहीं किए गए हैं।
नागौर में मात्र साढ़े 17 हजार पशुओं का बीमा
प्रदेश की तरह नागौर जिले की स्थिति भी खराब है। यहां कृषि के बाद पशुपालन भले ही दूसरा सबसे बड़ा व्यवसाय है, लेकिन अब तक 17,445 पशुओं का बीमा किया जा सकता है। जिले को 33 हजार से अधिक पशुओं का बीमा करने का लक्ष्य मिला, जिसकी तुलना में अब तक करीब आधे पशुओं का बीमा हो पाया है।
इस बार लक्ष्य 42 लाख किया
वित्तीय वर्ष 2024-25 की घोषणा के तहत पशुओं का बीमा करने का काम अगस्त 2025 तक चलेगा। इसके बाद वित्तीय वर्ष 2025-26 की घोषणा के तहत 42 लाख पशुओं का बीमा करने के लिए काम शुरू होगा। इस बार जिन पशुओं का बीमा नहीं हो पाया, उन्हें अगले वर्ष में शामिल किया जाएगा।
- डॉ. सुरेश चंद मीणा, अतिरिक्त निदेशक, पशुधन बीमा, निदेशालय पशुपालन विभाग, जयपुर