नागौर जिले में इस वर्ष मौसम का नया रूप देखने को मिला। अप्रेल व मई में कई बार आंधी व बारिश हुई, जिससे लोगों को ज्यादा गर्मी से परेशान नहीं होना पड़ा। जिले में इस वर्ष अब तक 72.4 एमएम बारिश रिकॉर्ड की जा चुकी है। 31 मई को पिछले 24 घंटों की 8.46 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई, जबकि मई पूरे माह में 37.5 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई, जिसमें सबसे अधिक 86 एमए बारिश परबतसर में, 72 एमएम मकराना में, 63 एमएम बारिश रियांबड़ी में हुई।
दिन – अधिकतम – न्यूनतम
27 मई – 48 – 32
28 मई – 45 – 32
29 मई – 42 – 25
30 मई – 37 – 24
31 मई – 38 – 24
01 जून – 40 – 25
02 जून – 38 – 26
गौरतलब है कि जिले में पिछले एक महीने में करीब 30 दल प्रवेश कर चुके हैं। पाक से आने वाले टिड्डी नागौर ही नहीं राजस्थान सहित देश के सातों राज्यों में पहुंच गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि आंधी व बारिश से टिड्डी को फायदा हो रहा है। वातावरण में नमी टिड्डी दलों के प्रजनन में सहायक बनती है। पश्चिम से आने वाले हवा टिड्डी को उड़ान भरने में भी मदद कर रही है। सोमवार शाम को 30वां दल खींवसर तहसील क्षेत्र में पहुंचगया, जिसे मंगलवार अलसुबह कृषि विभाग, टिड्डी नियंत्रण विभाग की टीमों ने कीटनाशक का छिडक़ाव कर खात्मा किया।
चार दिन पूर्व जिले के मकराना, परबतसर, रियांबड़ी, मेड़ता व खींवसर क्षेत्र हुई बारिश के बाद कुछ किसानों ने खरीफ की बुआई भी कर दी है। हालांकि कृषि अधिकारियों का कहना है कि खरीफ की बुआई के लिए अभी थोड़ी जल्दी है, लेकिन किसान पकने में अधिक समय लेने वाले बाजरे की बुआई कर सकते हैं। वहीं किसानों का कहना है कि मारवाड़ में कहावत है कि जेठ माह में बोई गया बाजरा यदि पनप जाए तो उपज अच्छी होती है।
जिले में बदले मौसम से कुछ फायदा है तो कुछ नुकसान भी है। खरीफ की बुआई के लिए हालांकि थोड़ा जल्दी है, लेकिन किसान अधिक समय से पकने वाले बाजरे की बुआई कर सकते हैं। जहां तक टिड्डी को फायदे की बात है तो नमी में टिड्डी का प्रजनन अधिक होता है, लेकिन वर्तमान में हमारे यहां जो टिड्डी आ रही है, वह प्रजनन की स्टेज में नहीं आई है। हां, हवा से टिड्डी को उडऩे में मदद मिलती है और मारने में परेशानी आती है।
– हरजीराम चौधरी, उप निदेशक, कृषि विभाग, नागौर