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नागौर में कुछ तो बात है, वरना यूं ही हजारों कौसों से खींचे चले नहीं आते लोग

राजस्थान के नागौर में आयोजित होने वाला रामदेव पशु मेला विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है।

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Nagaur Cattle fair news

Nagaru Cattle fair

नागौर. मारवाड़ का नागौर एक ऐसा क्षेत्र है, जो कई ऐसी विभुतियों की जन्मस्थली है, जिन्होंने पूरी दुनिया में मारवाड़ की माटी का नाम रोशन किया। डिंगल और पिंगल भाषा में कई ग्रंथों की रचना करने वाले प्रसिद्ध कवि वृंद का जन्म नागौर के मेड़ता में हुआ था। मेड़ता कृष्ण भक्त मीराबाई की भी जन्मस्थली है। अकबर के नौ रत्नों में से अबुल फैज और अबुल फजल दोनों भाईयों का जन्म नागौर में ही हुआ था। यही नहीं अकबर के दरबारी बुद्धिमान बीरबल भी नागौर जिले के ही रहने वाले थे।
नागौरी बेल पशु मेला मुख्य आकर्षण
मुख्य आकर्षण यहां का पशु मेला है, जो यहां प्रतिवर्ष बड़े स्तर पर आयोजित किया जाता है। इस मेले में होने वाली मुर्गों की लड़ाई, ऊंट की दौड़, कठपुतली का खेल, राजस्थानी नृत्य आदि भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र होते हैं। इस मेले में खासतौर पर ऊंट, भेड़, घोड़े, गाय आदि पशुओं का क्रय-विक्रय होता है। सूर्य के अस्त होने के साथ ही नागौर के इस पशु मेले में यहाँ के पारंपरिक लोकनृत्य की गूंज एक सुंदर समा बांध देती है।
विभूतियों की भूमि नागौर
नागौर व उसके आसपास के पर्यटनस्थलों में प्रमुख नागौर का किला, तारकिन की दरगाह, वीर अमर सिंह राठौड़ की छतरी, मीरा बाई की जन्मस्थली मेड़ता, खींवसर किला, कुचामन किला आदि है। नागौर किले के कारण नागौर सदा से ही पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा है। चौथी शताब्दी में अस्तित्व में आया यह किला राजस्थान के अन्य किलों की तरह ही ऊंचाई पर स्थित है। यूनेस्को ने अहिछत्रपुर दुर्ग या नागौर किले को 2007 में अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस पुरस्कार से नवाजा है। पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा नागौर किलों व महलों के रूप में नायब खूबसूरती को समेटे हुए है।
कैसे पहुंचे नागौर
भारत की राजधानी नई दिल्ली व राजस्थान की राजधानी जयपुर से मेड़ता रोड़ के लिए कई बसें व ट्रेन उपलब्ध है। मेड़ता रोड़ से नागौर की दूरी 82 किमी है। बस या टैक्सी से भी नागौर जा सकते हैं। बीकानेर , जैसलमेर , जोधपुर , जयपुर, झुंझूनू व अजमेर से राजस्थान रोडवेज की बसें व जैसलमेर एवं झुंझूनू को छोडक़र शेष स्थानों से रेल सेवा भी उपलब्ध है।