
The catchment area of Bakhtasagar pond was made disappear by encroachers, and the administration didn't even know...!
-प्रशासनिक कार्रवाई नहीं होने के चलते अब हालात बिगड़ रहे
नागौर. शहर के प्रमुख तालाबों में शामिल बख्तासागर तालाब का का जलबंध एरिया खत्म हो गया, और प्रशासन सोता रहा। यहां पर केवल तालाब की प्रकृति ही नहीं बदली गई, बल्कि पूरा जलबंध एरिया ही खत्म कर दिया गया। इसकी वजह से अब न तो इसमें बरसात का पानी पर्याप्त मात्रा में आ पाता है, और न ही यह भर पाता है। हालांकि बारिश तो अब भी होती है, लेकिन इसका कैचमेंट एरिया नहीं होने की वजह से बरसात का पानी तालाब तक पहुंच ही नहीं पा रहा। इससे यह पूरा तालाब लगभग खाली ही रहता है। जबकि तीस से पैतीस साल पहले इस तालाब का एरिय न केवल इससे दोगुना था, बल्कि लोग इसका मीठा पानी लेने के लिए आसपास से यहां पर पहुंचते थे।
सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश की भी नहीं हो रही पालना
प्राकृतिक जलस्रोतों में तालाब को संरक्षित रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी दिशा-निर्देश में स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया गया है कि कि जंगल, तालाब, पोखर, पठार तथा पहाड आदि को समाज के लिए बहुमूल्य मानते तालाब को तालाब के रूप में ही बनाये रखना चाहिए। इसके बाद भी प्रशासन की ओर से बरती जा रही बेपरवाही की वजह से बख्तासागर तालाब का कैचमेंट एरिया ही नहीं बचा। इन जगहों पर पिछले कुछ वर्षों के दौरान एक-नहीं सैंकड़ों की संख्या में हुए निर्माणों की वजह से तालाब में पानी की आवक पर लगाम लग गई है। बताते हैं कि पहले तो यह यह तालाब तीन से चार बारिश में ही 90 प्रतिशत से ज्यादा भर जाता था, अब ऐसा नहीं रहा।ा। इसके पूरे जलबंध एरिया में हुए निर्माणों ने तालाब का मूल स्वरूप ही बिगाड़ कर रख दिया है।
गड़बड़ाया तालाब का ढांचा
शहर में प्रमुख रूप से बड़े तालाबों में ख्यात रहे बख्तासागर तालाब का कैचमेंट एरिया गायब हो चुका है। बताया जाता है कि तालाब के कैचमेंट एरिया में हुए निर्माण एक-दो सालों में नहीं, बल्कि पिछले कई वर्षों के दौरान किए गए। इसके चलते इसका पूरा कैचमेंट एरिया अब नजर ही नहीं आ रहा। इससे न केवल तालाब का भोगौलिक ढांचा गड़बड़ा गया, बल्कि इसका आकार भी सिकुडकऱ छोटा हो चुका है। जानकारों की माने तो पिछले दस से पंद्रह वर्षों के दौरान कैचमेंट एरिया में हुए निर्माणों की आई बाढ़ ने तालाब में बरसाती पानी की आवक पर पूरी तरह से रोक ही लगा दी। स्थिति यह है कि इसके आसपास हुए निर्माणों की वजह से न केवल जलबंध एरिया खत्म हो गया, बल्कि यह इसका आकार भी एक छोटे पोखर की तरह हो चुका
इस तरह से इसमें बरसात के पानी की हो रही थी आवक
तालाब में करणी कॉलोनी, राठौड़ी कुआं एवं व्यास कॉलोनी आदि से बरसात का पानी बहते हुए प्रतापसागर तालाब पहुंचता था। इसके बाद यह पानी बख्तासागर तालाब पहुंचता था। बताते हैं कि पहले इसमें आवक के रास्तों की संख्या दर्जनों में थी। अब सभी आवक लगभग बंद हो चुके हैं। इसके चलते अब तालाब अब पूरा कभी भर ही नहीं पाता है। अधिकारियों का कहना है कि सरकारी जमीन पर किसी ने फसल की बुवाई कर, बाड़ लगाकर, पत्थर का पाटा लगाकर, कंटीली झाडिय़ां लगाकर या मकान बनाकर कब्जा आदि करना अतिक्रमण की श्रेणी में आता है। इसमें बेदखली की कार्रवाई होने के साथ ही अतिक्रमणी को सजा भी हो सकती है। इसके बाद भी अतिक्रमण की संख्या बढ़ती चली जा रही है।
इनका कहना है...
तालाब के कैचमेंट एरिया में निर्माणों की कोई जानकारी नहीं है, और न ही इस तरह की कोई शिकायत अभी फिलहाल आई है। फिर भी इसकी जांच करा ली जाएगी। प्रावधानों का पूरा पालन कराया जाएगा।
रामेश्वर गढ़वाल, तहसीलदार नागौर
Published on:
13 Dec 2023 10:13 pm
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