
Nagaur. On the third day of Paryushan festival, devotees worshiping in the temple on behalf of Digambar Jain Samaj
नागौर. पर्युषण पर्व के तीसरे दिन दिगंबर जैन समाज की ओर से मंदिरों में अर्चन किया गया। इस मौके पर विविध धार्मिक कार्यक्रम हुए। इस दौरान श्रद्धालुओं को आर्जव की महत्ता एवं इसकी विशेषताओं को समझाते हुए नथमल बाकलीवाल ने कहा कि मन वचन और काम की सरलता को आर्जव कहते हैं। छल-कपट करने वाले का मन अशांत रहता है। सरलता से सफलता आर्जव धर्म का परिणाम है। सरल व्यक्ति हंस की प्रवृति जीता है, जबकि कपटी बगुले का आचरण अपनाता है। वर्ण दोनों के समान है, लेकिन स्वभाव दोनों का भिन्न है। हंस सरोवर में मोती चुगता है और बगुले की दृष्टि मछली पर ही बनी रहती है। जैन धर्म कहता है कि संसार की वासना,कामना,तृष्णा ये सब मछलियां हैं। इन्हें ही खाने की मन में वृति बनी रही तो जीवन में कभी भी हंस जैसा जीवन नहीं जी पाओगे। वर्तमान में इंसानों में दिखावे की प्रवृति बढ़ गई है। इसी दिखावे की वजह से विश्वास टूटता ह,ै और और पारिवारिक रिश्ते भी बिखर जाते हैं। उद्धरण देते हुए समझायाकि एक बार गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि प्रभु हम सब आपसे इतनी आत्मीयता भरा संबंध रखते हैं और आपके प्रति अनन्य प्रेम है फिर भी काली कलूटी छिद्र वाली बांसुरी ही आपको सर्वाधिक प्रिय क्यों है। इस पर श्रीकृष्ण ने कहा मेरी बांसुरी में तीन गुण है, जो तुममें नहीं है। पहला गुण ये बिन बुलाए बोलती नहीं है,दूसरा जब भी बोलती है मीठा बोलती है। तीसरा गुण इसके अंदर कोई गांठ नहीं है। यही आर्जव धर्म कहता है। सरलता अर्थात आर्जव में असीम शक्ति होती है। सरलता और सहजता से बड़ा कोई वशीकरण मंत्र नहीं है।
Published on:
12 Sept 2021 09:18 pm
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