
पढ़ने की ललक ऐसी की खुद नांव खेकर नदी पार करते हैं छात्र, विकास यहां आते आते तोड़ देता है दम
पखांजूर. chhattisgarh news : मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ का विभाजन हुए 19 साल बीत गए। इस बीच छत्तीसगढ़ में 15 साल बेमिसाल के नारे लगे और अब गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की बारी है। लेकिन प्रदेश में विकास की रफ्तार अब भी धीमी है। कोयलीबेड़ा ब्लॉक का एक ऐसा गांव है जहां आज भी स्कूली बच्चे नौका से पारकर स्कूल आते हैं, खुद नाव से पार होते हैं।
एक ओर अंजारी नदी और दूसरी ओर कलरकूटनी नदी में आए उफान की वजह से कई गांव टापू में तब्दील हो गए हैं। इस क्षेत्र में हाईस्कूल न होने की वजह से सैकड़ों छात्र छात्राओं को बरसात के दिनों में उफनती कलरकूटनी नदी को पार कर स्कूल जाना पड़ता है। पीवी 94 के हाईस्कूल पडऩे वाले 30 बच्चे नियमित पढऩे आते हैं। कुछ दिन पहले इस नदी में ग्रामीणों ने लकड़ी की पुलिया बनाया था, लेकिन बारिश में वह भी बह गई।
छात्रों ने बताया कि रोजाना जान जोखिम में डालकर टीन से बनी डोंगी के सहारे स्कूल जाने को मजबूर है। सरकार को हमारी परेशानियों पर ध्यान देना चाहिए। वहीं जिम्मेदार अधिकारियों का उदासीन रवैया देखने को मिल रहा है। इस बारे में जानकारी होने के बावजूद अभी तक किसी प्रकार की पहल नहीं हो रही है।
Also Read : जब तक थी सांस लडे वो...
वहीं ग्रामीणों को रोजमर्रा के सामान के लिए उफनती नदी को पार करना पड़ता है। बरसात के दिनों किसी ग्रामीण की तबीयत बिगडऩे तो यहां संजीवनी एक्सप्रेस 108 नहीं पहुंच सकती है। जिसकी वजह से ग्रामीणों को काफी मशक्कत के बाद मरीज को इसी डोंगी के सहारे नदी पार कर स्वस्थ्य केंद्र पहुंचाना पड़ता है।
Updated on:
11 Aug 2019 06:58 pm
Published on:
11 Aug 2019 06:42 pm
बड़ी खबरें
View Allनारायणपुर
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
